बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले “लैंड फॉर जॉब” घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से लंबी पूछताछ की। सुबह 11 बजे लालू यादव अपनी बेटी मीसा भारती के साथ पटना स्थित ईडी दफ्तर पहुंचे और लगभग साढ़े तीन घंटे तक अधिकारियों के सवालों का सामना किया। पूछताछ के दौरान लालू यादव को लंच और दवा लेने का ब्रेक भी दिया गया। ईडी सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने लालू प्रसाद से पूछा कैसे है आप … आप पहले थोड़ा रिलैक्स हो लीजिए। पानी चाय या कॉफी लेंगे लालू जी। इस पर लालू प्रसाद बोले-ठीक बानी। इसके बाद लालू प्रसाद से पूछताछ शुरू हुई।
ईडी के तीखे सवाल, लालू के जवाब
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने लालू यादव से सीधे सवाल किए, जिनमें से प्रमुख थे:
- राबड़ी देवी के नाम पर जमीन रजिस्ट्री होने के बाद संजय राय और उनके परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी कैसे मिली?
- किरण देवी ने अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन महज 3.70 लाख रुपये में मीसा भारती को ही क्यों बेची? और फिर उनके बेटे को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी कैसे मिली?
- किशुन देव राय ने अपनी 3,000 वर्ग फीट जमीन मात्र 3.75 लाख रुपये में राबड़ी देवी को ही क्यों बेची?
ईडी दफ्तर के बाहर राजद कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
लालू यादव की पेशी के दौरान ईडी दफ्तर के बाहर राजद कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुट गई। पार्टी समर्थकों ने इसे केंद्र सरकार की “बदले की भावना से की गई कार्रवाई” करार दिया। राजद विधायक मुकेश रौशन ने कहा कि “जब-जब सत्ता परिवर्तन का समय आता है, तब-तब केंद्रीय एजेंसियों को सक्रिय कर दिया जाता है। यह सिर्फ विपक्ष को दबाने की साजिश है।”
बीजेपी ने किया पलटवार
वहीं, बीजेपी नेता हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि “कानून का हाथ लंबा होता है। जिसने भी गलत किया है, वह बच नहीं सकता। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने का मामला पूरी तरह प्रमाणित है। लालू यादव को इसका जवाब देना ही होगा।”
तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया
लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि “जितना हमें परेशान किया जाएगा, हम उतने मजबूत होंगे। यह महज एक राजनीतिक हथकंडा है। अगर मैं राजनीति में नहीं होता, तो शायद मुझे भी इसमें नहीं घसीटा जाता।”
क्या है “लैंड फॉर जॉब” घोटाला?
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, लालू यादव के रेल मंत्री रहते (2004-2009) रेलवे में ग्रुप डी की नौकरियों के बदले जमीनें हस्तांतरित की गईं। आरोप है कि गरीब परिवारों से औने-पौने दामों पर जमीनें ली गईं और बदले में उनके परिवारों को रेलवे में नौकरी दी गई। इस केस में लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव समेत कई लोग आरोपी हैं।