मुंबई : महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल एकनाथ शिंदे गुट के मंत्रियों ने डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री अजित पवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मंत्रियों का कहना है कि अजित पवार उनके विकास कार्यों पर रोक लगा रहे हैं, जिसके चलते उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम प्रभावित हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर शिंदे गुट के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से औपचारिक शिकायत की है।
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के सभी मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी, जो राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आयोजित की गई। इस बैठक में शिंदे गुट के मंत्रियों ने अजित पवार के खिलाफ खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। मंत्रियों का कहना था, “अजित पवार वित्त मंत्री हैं और हमारे विकास कार्यों के लिए फंड रोक रहे हैं। अगर हमें बजट ही नहीं मिलेगा तो हम अपने क्षेत्रों में काम कैसे करेंगे?” मंत्रियों ने यह भी जोड़ा कि गठबंधन सरकार में सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
मंत्रियों की शिकायत सुनने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह इस मामले को गंभीरता से लेंगे। शिंदे ने कहा, “मैं खुद डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस से बात करूंगा और इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा।” हालांकि, बैठक के बाद शिवसेना कोटे से मंत्री प्रताप सरनाईक ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा कि किसी ने कोई नाराजगी नहीं जताई है। उन्होंने कहा, “सरकार में कुछ मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन इन्हें बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा।”
यह पहली बार नहीं है जब अजित पवार को लेकर गठबंधन सहयोगियों ने नाराजगी जताई हो। बीते महीने 26 मई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मराठवाड़ा दौरे के दौरान बीजेपी के नेताओं और विधायकों ने भी अजित पवार की शिकायत की थी। उस दौरान अमित शाह ने बीजेपी नेताओं को सलाह दी थी कि वे इतना अच्छा काम करें कि अजित पवार को उनकी शिकायत करने के लिए उनके पास आना पड़े।
अजित पवार को लेकर बीजेपी और अब शिंदे गुट की नाराजगी ने सियासी हलचलों को तेज कर दिया है। महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, इसकी चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं। जानकारों का मानना है कि यह नाराजगी गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर सकती है। अजित पवार न केवल डिप्टी सीएम हैं, बल्कि वित्त और उत्पाद शुल्क जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा भी उनके पास है, जिसके चलते उनकी भूमिका सरकार में बेहद अहम है।
महाराष्ट्र की राजनीति में अस्थिरता का लंबा इतिहास रहा है। साल 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी थी और बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई थी। वहीं, 2023 में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी से बगावत कर अपनी अलग राह चुनी और महायुति गठबंधन में शामिल हो गए। चुनाव आयोग ने 2024 में अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी माना था, लेकिन गठबंधन के भीतर यह तनाव अब तक खत्म नहीं हुआ है।
सियासी गलियारों में अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह नाराजगी महायुति गठबंधन में बड़ी दरार का कारण बनेगी? जानकारों का कहना है कि अगर शिंदे और फडणवीस इस मसले को जल्द नहीं सुलझाते, तो इसका असर न केवल सरकार के कामकाज पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले चुनावों में भी गठबंधन को नुकसान हो सकता है।