पुणे: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने भारतीय पर्यटकों और व्यापारियों द्वारा तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार किए जाने का स्वागत किया है। यह कदम इन देशों द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद उठाया गया है, जिसे भारत ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला माना है।
शिंदे ने कहा, “पुणे, राजस्थान सहित कई राज्यों के व्यापारियों ने तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार किया है। मैं इसका स्वागत करता हूं क्योंकि यह देशभक्ति को दर्शाता है। तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जिसने हमारे निर्दोष नागरिकों की जान ली है। इसलिए तुर्की का पूरा बहिष्कार होना चाहिए।”
इस बहिष्कार का आर्थिक प्रभाव तुर्की और अजरबैजान पर गंभीर हो सकता है, खासकर पर्यटन और व्यापार के क्षेत्र में। पुणे में तुर्की के सेबों का बहिष्कार किया गया है, जिससे मांग में 50% की गिरावट आई है और उपभोक्ता अब हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान से सेब खरीद रहे हैं। इस कदम से तुर्की को हर सीजन में 1,000-1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
हाल के घटनाक्रम में, तुर्की की पाकिस्तान में सैन्य उपस्थिति, जिसमें कराची में नौसेना जहाज और पाकिस्तानी वायुसेना में वृद्धि शामिल है, ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में तुर्की की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, नाटो का अनुच्छेद 5 दक्षिण एशिया तक नहीं फैलता है, जिसका अर्थ है कि भारत द्वारा पाकिस्तान में तुर्की के सैन्य परिसंपत्तियों पर किसी भी कार्रवाई से नाटो की सामूहिक रक्षा खंड नहीं चलेगा।
इस बीच, भारत में “बैन तुर्की” अभियान ने जोर पकड़ा है, जिसमें व्यापारियों और उपभोक्ताओं ने तुर्की के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार किया है। यह कदम भारत की सैन्य कार्रवाइयों, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और उसके सहयोगियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
शिंदे का बयान देशभक्ति की भावना को दर्शाता है और भारतीयों को तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करता है, जो पाकिस्तान का समर्थन करके भारत के खिलाफ खड़े हुए हैं। यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान तनाव और क्षेत्रीय गतिशीलता में तुर्की की भूमिका को और जटिल बनाता है।