बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना, फर्जी, डुप्लिकेट या अपात्र मतदाताओं के नाम हटाना और केवल पात्र भारतीय नागरिकों को सूची में बनाए रखना है। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(3) के तहत आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।
आयोग ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल गलत अफवाहें फैला रहे हैं, जबकि उनकी पार्टियां स्वयं बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) के जरिए इस प्रक्रिया में सहयोग कर रही हैं। आयोग ने बताया कि 18 जुलाई तक 90% से अधिक गणना फॉर्म जमा हो चुके हैं, और शेष मतदाताओं को दावे-आपत्तियों की अवधि में भी अवसर मिलेगा।
आयोग ने आधार कार्ड को लेकर स्थिति स्पष्ट की कि यह 11 स्वीकृत दस्तावेजों में शामिल नहीं है, क्योंकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है, हालांकि इसे सहायक दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया की टाइमिंग और व्यावहारिकता पर सवाल उठाए थे, जिसके जवाब में आयोग ने कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनसम्मत है। अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को होगी।