नई दिल्ली: भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच तीखा विवाद छिड़ गया है, जिसमें राहुल ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित “मैच फिक्सिंग” का आरोप लगाया था। इस मामले में आज एक प्रमुख विकास के तहत ECI ने राहुल गांधी के दावों को “पूरी तरह बेतुका” करार देते हुए जोरदार खंडन किया है।
राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि महाराष्ट्र चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई, जिसमें नकली मतदाताओं को जोड़ा गया, मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, और सबूतों को छिपाया गया। उन्होंने इसे “लोकतंत्र को धोखा देने की रूपरेखा” करार देते हुए एक लेख भी साझा किया, जिसमें इन कथित अनियमितताओं का चरणबद्ध विवरण दिया गया। राहुल ने आगे कहा कि यह “मैच फिक्सिंग” बिहार जैसे अन्य राज्यों में भी फैल सकती है, जहां भाजपा हार रही है।
ECI ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि भारत में, जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है, मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत तैयार की जाती हैं। आयोग ने डेटा पेश करते हुए बताया कि महाराष्ट्र में लगभग 1 करोड़ मतदाताओं में से केवल 89 शिकायतें ही दर्ज की गईं, जो चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को दर्शाता है। ECI ने जोर देकर कहा कि राहुल के आरोप तथ्यहीन हैं और भारतीय लोकतंत्र की अखंडता पर अनावश्यक हमले हैं।
यह विवाद उस समय सामने आया है जब 2024 के लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र की 48 में से 31 सीटें जीतीं, जबकि महा युति को केवल 17 सीटें मिलीं। इसके अलावा, 2023 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के बाद एनसीपी और शिवसेना के विभाजन ने चुनावी गतिशीलता को और जटिल बना दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आरोपों से जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है, जैसा कि 2023 के जर्नल ऑफ डेमोक्रेसी के एक अध्ययन में भी चेतावनी दी गई थी।
चैथम हाउस की 2024 की एक रिपोर्ट ने भारत में लोकतांत्रिक अखंडता पर चिंता जताई है, जिसमें अभियान वित्तपोषण की पारदर्शिता की कमी और सरकार की आलोचना करने वालों के उत्पीड़न जैसे मुद्दों को उठाया गया है। इस संदर्भ में, DD न्यूज ने एक विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें अमित शर्मा ने सवाल उठाया है कि क्या ये आरोप तथ्यहीन शोर हैं या संस्थागत पक्षपात का संकेत?
ECI ने अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए मजबूत कदम उठाए हैं, जबकि राहुल गांधी ने जनता से सबूतों की जांच और जवाब की मांग करने की अपील की है। यह विवाद भारतीय लोकतंत्र की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर बहस को और गहरा सकता है।