बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों की सक्रियता पर नज़र रखते हुए कड़ा कदम उठाया है। आयोग ने 17 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है, जो 2019 के बाद से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए हैं। यह नोटिस मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय, 7 सरदार पटेल मार्ग, पटना से जारी किया गया है। जानकारी के मुताबिक, उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने इन दलों से 10 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है।
आयोग को निष्क्रिय दलों पर शक
निर्वाचन विभाग का मानना है कि इन दलों की वर्षों से जारी निष्क्रियता न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि चुनावी पारदर्शिता पर भी असर डालती है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को विशेष अधिकार और सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन आयोग का तर्क है कि यदि कोई पार्टी इन सुविधाओं का उपयोग करते हुए सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए रखती है, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
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डीलिस्टिंग की चेतावनी
चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि ये राजनीतिक दल उचित दस्तावेज और स्पष्टीकरण नहीं देते हैं, तो उन्हें पंजीकृत दलों की सूची से हटाया जा सकता है — यानी डीलिस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि संबंधित दल राजनीतिक दल के रूप में कानूनी मान्यता खो सकते हैं, जिससे उन्हें चुनाव चिन्ह, वित्तीय पारदर्शिता, और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी कई सुविधाओं से हाथ धोना पड़ेगा।
क्यों जरूरी है यह कदम?
विशेषज्ञों का मानना है कि निष्क्रिय राजनीतिक दलों के खिलाफ यह कदम चुनावी प्रणाली की सफाई और राजनीतिक पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि जो दल सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लेते, उन्हें रजिस्टर्ड पार्टी के रूप में बने रहने का हक नहीं मिलना चाहिए।
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जिन 17 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
भारतीय बैकवर्ड पार्टी
भारतीय सुराज दल
भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक)
भारतीय जनतंत्र सनातन दल
बिहार जनता पार्टी
देशी किसान पार्टी
गांधी प्रकाश पार्टी
हमदर्दी जनरक्षक पार्टी
समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक)
क्रांतिकारी साम्यवादी पार्टी
क्रांतिकारी विकास दल
लोक आवाज दल
लोकतांत्रिक समता दल
राष्ट्रीय जनता पार्टी (भारतीय)
राष्ट्रवादी जन कांग्रेस
राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी
सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी
व्यवसाई किसान अल्पसंख्यक मोर्चा
21 जुलाई तक दें जवाब
राज्य चुनाव आयोग ने इन दलों को 21 जुलाई तक सबूतों के साथ अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि भारत निर्वाचन आयोग को उचित रिपोर्ट सौंपी जा सके। चुनाव आयोग का मानना है कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक व्यवस्था में सक्रिय भागीदारी निभाएं।