चुनाव आयोग (Election Commission SIR) ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट कर दिया कि अब विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में लागू किया जाएगा। आयोग ने कहा कि यह कदम मतदाता सूची (Voter List) को अधिक पारदर्शी, अद्यतन और त्रुटिरहित बनाने के लिए उठाया गया है। आयोग का यह बयान ऐसे समय आया है जब कई राजनीतिक दल SIR को लेकर जनता के बीच भ्रम फैलाने का आरोप झेल रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले दाखिल हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि भारत का हर नागरिक मतदान का अधिकार रखता है, लेकिन आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। यह केवल पहचान के लिए मान्य दस्तावेज है। आयोग ने दोहराया कि “सिर्फ भारतीय नागरिक ही मतदान के पात्र हैं, इसलिए मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है।”
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गौरतलब है कि बिहार में SIR को लेकर विपक्षी दलों ने इसे “राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित” बताते हुए आपत्ति जताई थी। कई पार्टियों ने दावा किया था कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची से खास वर्गों को हटाने का जरिया बन सकती है। वहीं, आयोग ने अब अपने हलफनामे में इन दावों को “भ्रामक और बेबुनियाद” बताया है। चुनाव आयोग ने कहा कि SIR एक नियमित और संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका मकसद किसी को शामिल या बाहर करना नहीं, बल्कि वास्तविक मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करना है।






















