नई दिल्ली : एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक ने आखिरकार भारत में अपनी सेवाओं के लिए लाइसेंस हासिल कर लिया है। दूरसंचार विभाग (DoT) से लाइसेंस प्राप्त करने वाली स्टारलिंक तीसरी कंपनी बन गई है, जो भारत में सैटकॉम सेवाएं शुरू करने जा रही है। इससे पहले जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस और वनवेब को यह मंजूरी मिल चुकी है। इस खबर के साथ ही देशभर में स्टारलिंक के लॉन्च का इंतजार कर रहे लोगों में उत्साह बढ़ गया है।
भारत में स्टारलिंक की स्पीड और कीमत
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को प्रमोशनल ऑफर के तहत शुरू कर सकता है। शुरुआती तौर पर यह अनलिमिटेड डेटा प्लान के साथ मात्र 10 डॉलर प्रति माह (लगभग 840 रुपये) में उपलब्ध हो सकता है। हालांकि, यह कीमत लॉन्च के बाद बदल भी सकती है।
स्पीड की बात करें तो भारत में स्टारलिंक की इंटरनेट स्पीड 300 एमबीपीएस तक हो सकती है, जैसा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में देखा गया है। SpaceX का कहना है कि वे हर पांच साल में अपने लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट नेटवर्क को अपग्रेड करेंगे, जिससे भविष्य में स्पीड और बेहतर हो सकती है।
हार्डवेयर और सर्विस की कीमत
स्टारलिंक की रेजिडेंशियल सर्विस की कीमत वैश्विक बाजार में 90-120 डॉलर प्रति माह (लगभग 7,500-10,000 रुपये) है। इसके अलावा, हार्डवेयर किट (जिसमें सैटेलाइट डिश और वाई-फाई राउटर शामिल है) की कीमत 250 से 380 डॉलर (लगभग 21,300 से 32,400 रुपये) के बीच है। भारत में भी यह कीमत इसी के आसपास रहने की उम्मीद है। हालांकि, पहले साल में स्टारलिंक की कुल लागत (सर्विस और इंस्टालेशन फीस सहित) करीब 1,58,000 रुपये तक जा सकती है। इसमें 30 प्रतिशत टैक्स भी शामिल है। दूसरे साल से यह लागत घटकर लगभग 1,15,000 रुपये प्रति वर्ष रह सकती है।
स्टारलिंक कैसे काम करता है?
स्टारलिंक पारंपरिक इंटरनेट सेवाओं से अलग है, जो फाइबर केबल्स या मोबाइल टावरों पर निर्भर होती हैं। यह लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट प्रदान करता है। SpaceX ने जनवरी 2024 तक लगभग 7,000 स्टारलिंक सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड और स्थिर इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराना है।
भारत के लिए स्टारलिंक का महत्व
भारत में स्टारलिंक की सेवाएं खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं, जहां फाइबर-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में जियो फाइबर और एयरटेल एक्सस्ट्रीम जैसी सेवाएं पहले से ही सस्ते दामों पर हाई-स्पीड इंटरनेट दे रही हैं, ऐसे में स्टारलिंक को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
प्रतिस्पर्धा में स्टारलिंक
भारत में स्टारलिंक को जियो-एसईएस और भारती-समर्थित वनवेब से कड़ी टक्कर मिल सकती है, जिन्हें पहले ही नियामक मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा, अमेजन की कुइपर सैटेलाइट सर्विस भी भारत में लॉन्च की तैयारी में है, लेकिन इसकी मंजूरी प्रक्रिया में अभी देरी हो रही है।
एलन मस्क ने स्टारलिंक के भारत लॉन्च को लेकर उत्साह जताया है और इसे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े टेलीकॉम बाजार में एक बड़ा अवसर बताया है। अब देखना यह है कि स्टारलिंक भारतीय उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है।