नई दिल्ली : भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में देश में 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI प्रवाह दर्ज किया गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के 71.28 बिलियन डॉलर की तुलना में 14% अधिक है। यह जानकारी समाचार एजेंसी ANI ने मंगलवार को साझा की।
आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र ने 19% हिस्सेदारी के साथ FDI में सबसे बड़ा योगदान दिया, जबकि विनिर्माण क्षेत्र 18% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रहा। राज्यों में महाराष्ट्र ने 30% हिस्सेदारी के साथ सबसे अधिक FDI आकर्षित किया, जो उसकी मजबूत बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विविधता को दर्शाता है। इसके बाद कर्नाटक (14%), गुजरात (13%), और दिल्ली (10%) का स्थान रहा।
वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले एक दशक में FDI में 127% की वृद्धि हुई है। FY 2013-14 में जहां FDI प्रवाह 36.05 बिलियन डॉलर था, वहीं FY 2024-25 में यह आंकड़ा 81.04 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की उदार नीतियों, बुनियादी ढांचे के विकास और क्षेत्र-विशिष्ट प्रोत्साहनों ने भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाया है।
इनवेस्ट इंडिया और IBEF की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था और विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। सरकार ने छह नए क्षेत्रों—जैसे रसायन, शिपिंग कंटेनर, और वैक्सीन इनपुट्स—में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 18,000 करोड़ रुपये तक के प्रोत्साहन की योजना बनाई है। इसके अलावा, डेलॉयट की 2025-26 की रिपोर्ट में भारत की राजनीतिक स्थिरता और अमेरिका-भारत व्यापार समझौतों को निवेश वृद्धि के प्रमुख कारक बताया गया है।
हालांकि, वैश्विक चुनौतियां जैसे भू-राजनीतिक तनाव और उच्च ब्याज दरें FDI प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं। फिर भी, भारत के प्रति वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक सुधारों और दीर्घकालिक विकास की संभावनाओं को दर्शाता है।