बिहार की सियासत अब इलेक्शन मोड में आ चुकी है। सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक और पार्टी दफ्तरों से लेकर बंद कमरों तक, रणनीति की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। और इसी राजनीतिक गर्माहट के बीच एक बड़ी खबर महागठबंधन खेमे से निकलकर सामने आई है — सीट शेयरिंग की पहली निर्णायक बैठक कल दिल्ली में होने जा रही है।
दिल्ली में होगी बड़ी ‘सियासी चौसर’ — राहुल, खड़गे और तेजस्वी आमने-सामने
तेजस्वी यादव आज शाम दिल्ली रवाना होंगे और कल सुबह-सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर सीटों के बंटवारे को लेकर पहली हाई लेवल मीटिंग होगी। सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी भी इस अहम बैठक में शामिल हो सकते हैं। इस बैठक को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का पारा चढ़ चुका है, क्योंकि यहीं से तय होगा कि महागठबंधन किस चेहरे, कितनी सीटों और किस फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरने जा रहा है।
महागठबंधन की पेंचीदी पहेली: कौन कितनी सीट पर मारेगा दावा?
महागठबंधन के छह घटक दल इस बार पूरे जोर में हैं और दावों का दौर पहले से ही गरमाया हुआ है:
- आरजेडी: सबसे बड़ा दल होने के नाते इस बार ज्यादा सीटों की मांग कर रहा है।
- कांग्रेस: पिछली बार लड़ी गई 70 सीटों पर फिर से दावा ठोक रही है।
- वीआईपी (मुकेश सहनी): मंच से 60 सीटों की मांग कर चौंका चुके हैं।
- वाम दल (तीनों): यह गठबंधन के अंदर अपनी पुरानी पकड़ और कार्यकर्ता बेस के आधार पर ‘सम्मानजनक हिस्सेदारी’ की बात कर रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस, जो खुद 60-70 सीटों पर अड़ी हुई है, वह वीआईपी जैसे नए सहयोगी को कितनी ‘जगह’ देती है। क्या आरजेडी अपने बड़े भाई के किरदार में संतुलन साध पाएगी? और क्या वाम दलों को भी मनमाफिक हिस्सेदारी मिलेगी?
सियासी टाइमलाइन: 15 को दिल्ली, 17 को पटना
- 15 अप्रैल: राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और तेजस्वी यादव के बीच दिल्ली में बैठक
- 17 अप्रैल: पटना में महागठबंधन की सभी छह दलों की संयुक्त बैठक — जिसमें आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और तीनों वाम दलों के शीर्ष नेता होंगे
हालांकि पटना में होने वाली बैठक की जगह तय नहीं है, लेकिन संभावना है कि यह किसी निजी होटल या आरजेडी कार्यालय में हो सकती है।
क्या सीटों के झगड़े में फंसेगा गठबंधन का मिशन?
बिहार का मतदाता समझदार है और गठबंधन की अंदरूनी खींचतान पर उसकी नज़र भी है। यदि महागठबंधन समय रहते सीटों पर समन्वय नहीं कर पाया, तो इसका लाभ बीजेपी-जेडीयू गठजोड़ को मिल सकता है। लेकिन यदि तेजस्वी-राहुल की जोड़ी मिलकर इस ‘सियासी गणित’ को सुलझा लेती है, तो विपक्षी खेमा चुनावी जंग में मज़बूत चुनौती पेश कर सकता है। महागठबंधन की यह बैठक केवल सीट शेयरिंग नहीं, बल्कि चुनावी भविष्य की दिशा तय करने वाली है। तेजस्वी का दिल्ली दौरा, राहुल-खड़गे से बातचीत और फिर पटना की संयुक्त बैठक — यह सब बताता है कि अब चुनावी ‘शतरंज’ की पहली चाल चल दी गई है।