नई दिल्ली: तमिलनाडु में इन दिनों सियासी पारा चढ़ता हुआ दिख रहा है। हाल के दिनों में सीएम स्टालिन ने केंद्र सरकार की नीतियों और उत्तर भारतीयों को नीचा दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी है। बीते दिनों परिसीमन के मुद्दे को लेकर भी स्टालिन ने बैठक का आयोजन किया जिसमें साफ तौर पर मोदी विरोधी सुर सुने गए। स्टालिन का लगातार हिन्दी और हिन्दी भाषियों के विरोध में बोलना एक आर जहां उनकी लोकप्रियता कम कर रहा वहीं अब तमिलनाडु की राजनीति भी अब करवट ले रही है।
वहीं अगले वष्र् होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक पंडितो का दावा है कि होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK के महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। अटकलों के बीच पलानीस्वामी मंगलवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के घर पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात के बाद पलानीस्वामी एनडीए में वापस आ सकते हैं। मालूम हो कि सितंबर 2023 में AIADMK ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था। AIADMK के नेता बीजेपी की तमिलनाडु में बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और द्रविड़ आइकन पेरियार के बारे में बीजेपी नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों से परेशान थे।
2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए, AIADMK ने अकेले जाने का फैसला किया। वे बीजेपी के प्रभाव के बिना अपनी राह बनाना चाहते थे। लेकिन यह पहली बार नहीं था जब उनका गठबंधन टूटा था। कहा जा रहा है कि बीजेपी और AIADMK के बीच कई हफ्तों से बातचीत चल रही थी। इसका मतलब है कि वे बीजेपी के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं, भले ही उन्हें मुख्य भूमिका न मिले। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी हमारी चिंताओं को सुनते हैं और सहमत होती हैं, तो AIADMK-बीजेपी गठबंधन संभव है। AIADMK ने पहली बार 2016 में जे जयललिता के निधन के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। AIADMK ने डीएमके-कांग्रेस के बढ़ते मोर्चे का मुकाबला करने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था।
2019 लोकसभा चुनाव में AIADMK ने 22 और बीजेपी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन गठबंधन को केवल 1 सीट पर जीत मिली, वहीं डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 38 सीटें जीतीं। इसके बाद भी दोनों पार्टियां साथ बनी रहीं और 2021 में मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। AIADMK को 66 और बीजेपी को 4 सीटें मिलीं, लेकिन सत्ता डीएमके के हाथ में चली गई, जिसने 159 सीटें जीतीं। इस चुनाव में बीजेपी को पहली बार तमिलनाडु में विधानसभा सीटें मिलीं, लेकिन गठबंधन की हार ने AIADMK को बीजेपी के साथ संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। धीरे-धीरे पलानीस्वामी ने बीजेपी से दूरी बना ली थी। सितंबर 2023 में AIADMK ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया और एनडीए से बाहर निकल गई।
इसके पीछे मुख्य कारण तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई के विवादास्पद बयान थे। अन्नामलाई ने AIADMK के संस्थापक अन्नादुराई और जयललिता पर टिप्पणियां कीं, जिन्हें AIADMK ने अपमानजनक माना। साथ ही, AIADMK को लगता था कि बीजेपी उसकी कीमत पर राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। बताते चलें कि गठबंधन टूटने के बाद AIADMK और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। AIADMK ने DMDK और SDPI के साथ गठबंधन किया, लेकिन कोई सीट नहीं जीती। उसकी वोट हिस्सेदारी 20.46% रही। बीजेपी ने PMK और TMC के साथ गठबंधन किया, जिसकी वोट हिस्सेदारी 18.28% थी, लेकिन वह भी कोई सीट नहीं जीत सकी।