बिहार में अजीबोगरीब नामों से जारी हो रहे आवासीय प्रमाण पत्रों को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ‘डॉग बाबू’ और ‘मोनालिसा’ जैसे नामों से जारी किए गए दस्तावेजों को उदाहरण बनाते हुए इसे सरकारी सिस्टम की विफलता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा हमला बताया है।
तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा, “नीतीश बाबू की सरकार में अगर ‘डॉग बाबू’, ‘सनी लियोनी’ और ‘सोनालिका ट्रैक्टर’ के नाम से आवासीय प्रमाण पत्र बन सकते हैं, तो यह सरकारी व्यवस्था की सच्चाई को उजागर करता है। फर्जी नामों पर जारी प्रमाण पत्र तो मान्य हो सकते हैं, लेकिन असली बिहारवासियों के असली दस्तावेजों को दरकिनार कर दिया जाता है।”
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान सिर्फ दिखावा बन कर रह गया है। तेजस्वी ने कहा, “जब जेडीयू के नेताओं ने खुद इन प्रमाण पत्रों को फर्जी बताया, तो अगले ही दिन पटना प्रशासन ने उन्हें रद्द कर दिया। अगर ये शुरू से फर्जी थे, तो इन्हें मंजूरी कैसे मिली?” तेजस्वी ने इस पूरे घटनाक्रम को प्रशासनिक लापरवाही और साजिश करार देते हुए कहा कि इससे राज्य में चल रहे मतदाता सत्यापन अभियान की गंभीरता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “अब देखना होगा कि ये ‘गहन’ अभियान किस गहराई से चल रहा है!”
बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर “डॉग बाबू” और “सोनालिका ट्रैक्टर” के नाम से जारी आवासीय प्रमाण पत्रों के दस्तावेज और वीडियो वायरल हुए थे। बाद में प्रशासन ने इन्हें फर्जी करार देते हुए रद्द कर दिया, लेकिन यह मामला अब सियासी बहस का विषय बन चुका है।