नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2025: रूस-यूक्रेन युद्ध में एक बार फिर से तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। एक विशेष मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में रूसी सेना ने यूक्रेन के डोनेस्क और जपोरिजिया क्षेत्रों में 447 हमले किए हैं। इस हिंसा को लेकर चिंताएं गहरा गई हैं, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में सेना ने इन क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश तेज कर दी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि रूस का मुख्य लक्ष्य डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करना है, जहां लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार मौजूद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस इन संसाधनों पर कब्जा कर वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। इसके अलावा, यूक्रेन के अनाज संसाधनों पर भी रूस की नजर है, जिससे वह वैश्विक खाद्य आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।
इस बीच, जपोरिजिया क्षेत्र में रूसी सेना ने हवाई हमलों को तेज कर दिया है, जिससे स्थानीय आबादी में दहशत का माहौल है। कीव इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी सेना ने डोनेस्क और जपोरिजिया की सीमा पर अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं और कुछ क्षेत्रों में सीमित सफलता भी हासिल की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रूस इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर लेता है, तो वह यूक्रेन की महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक आपूर्ति मार्गों को निशाना बना सकता है।
इस चर्चा में शामिल होने वाले पत्रकार समीर अब्बास और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय के. भारद्वाज ने इस युद्ध के भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। समीर अब्बास, जो एक स्वतंत्र पत्रकार और प्रगतिशील विचारक के रूप में जाने जाते हैं, ने इस युद्ध के मानवीय प्रभावों पर जोर दिया, जबकि प्रोफेसर भारद्वाज ने ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या की। प्रोफेसर भारद्वाज ने बताया कि डोनबास क्षेत्र में लिथियम के भंडार इस युद्ध में एक रणनीतिक भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि यह धातु वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है।
रूस द्वारा 2014 से डोनेस्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जपोरिजिया जैसे क्षेत्रों को अपने कब्जे में लेने की कोशिशें जारी हैं। इस बीच, यूक्रेन की सेना भी जवाबी कार्रवाई में जुटी हुई है, लेकिन रूस की बढ़ती सैन्य शक्ति और संसाधनों के सामने उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हिंसा की निंदा की है और यूक्रेन को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है।
यह युद्ध न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में और अधिक तनाव की आशंका जताई जा रही है।