उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से सामने आई बूथ लेवल ऑफिसर (Gonda BLO) विपिन कुमार यादव की मौत की खबर ने पूरे प्रदेश में प्रशासनिक दबाव और चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गहरी बहस छेड़ दी है। गोंडा में चुनावी ड्यूटी में लगे सहायक शिक्षक विपिन कुमार यादव ने कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी। जब उनका पार्थिव शरीर जौनपुर स्थित पैतृक गांव पहुंचा तो पूरे परिवार में मातम और आक्रोश का माहौल फैल गया।
परिवार के आरोपों ने इस घटना को और विवादास्पद बना दिया है। मृतक के साले प्रतीक यादव ने दावा किया कि विपिन यादव पर स्थानीय अधिकारियों—SDM और लेखपाल—की ओर से OBC वर्ग के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने का दबाव डाला जा रहा था। प्रतीक के मुताबिक, अधिकारियों की तरफ से स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि अगर विपिन ऐसा नहीं करेंगे तो उनका निलंबन किया जाएगा और पुलिस द्वारा उठवा लेने जैसे सख्त कदम उठाए जाएंगे। प्रतीक ने कहा कि यही दबाव मानसिक त्रासदी में बदल गया और विपिन ने जिंदगी खत्म करने जैसा कदम उठा लिया।
परिवार का दावा है कि घटना से एक दिन पहले ही विपिन ने फोन पर प्रतीक यादव से बातचीत के दौरान कहा था कि वह केवल उन्हीं लोगों का नाम जोड़ेगा जिनसे वह प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा। इसके अगले ही दिन उनकी आत्महत्या की खबर ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया। सोशल मीडिया पर यह बात जोर पकड़ रही है कि कथित ‘दबाव’ ही इस मौत का मूल कारण बना, जिस पर विपक्ष ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस ने इस घटना का एक वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि BLO पर OBC मतदाताओं के नाम हटाने के आदेश दिए जा रहे थे और यही व्यापक पैटर्न पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है। विपक्ष का दावा है कि चुनावी सूचियों को राजनीतिक हितों के अनुसार ढालने की कोशिश हो रही है, जिसमें वंचित, पिछड़े, दलित और विपक्षी समर्थक मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगाया जा रहा है।

















