बिहार के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अगले तीन दिनों तक भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बिहार के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की आज से हड़ताल है। अगले तीन दिनों तक सरकारी अस्पतालों में OPD सेवाएं बंद रहेंगी। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (BHSA) ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस, प्रशासनिक उत्पीड़न और स्टाफ की कमी को लेकर कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है।
डॉक्टर्स की मुख्य मांगें:
बायोमेट्रिक अटेंडेंस से वेतन में देरी: कई जिलों में डॉक्टरों का वेतन महीनों से रुका हुआ है।
प्रशासनिक उत्पीड़न: निरीक्षण के नाम पर डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।
सुविधाओं की कमी: डॉक्टरों को सुरक्षा, आवास और कार्य अवधि निर्धारण जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही।
कर्मचारियों की भारी कमी: हर साल हजारों डॉक्टर PG और सीनियर रेजिडेंसी के लिए स्टडी लीव पर जाते हैं, लेकिन सरकार उन पदों को रिक्त नहीं मानती, जिससे मौजूदा डॉक्टरों पर काम का भारी दबाव पड़ता है।
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हालांकि, हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। BHSA के प्रवक्ता डॉ. विनय कुमार ने बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा, वेतन, गृह जिले में पोस्टिंग और सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं को लेकर सरकार को कई बार लिखा गया है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उनकी मांगों पर सरकार मौन है, जिससे डॉक्टरों को मजबूर होकर कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है।
डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि शिवहर में जिलाधिकारी की बैठक के दौरान डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके विरोध में वहां के डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन OPD बहिष्कार का ऐलान कर दिया। BHSA ने साफ कर दिया है कि अगर 29 मार्च तक सरकार ने कोई ठोस समाधान नहीं निकाला तो हड़ताल को और तेज किया जाएगा।