बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में बुधवार को हुए हंगामे के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उनके साथ राजद विधायक भाई वीरेंद्र, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस नेता शकील अहमद खान और भाकपा माले नेता महबूब आलम भी मौजूद रहे। तेजस्वी ने कहा, “आप सभी ने सदन की कार्यवाही देखी होगी। कल हमने विधानसभा अध्यक्ष को अपने प्रस्ताव सौंपे थे और आज उनकी अनुमति से हम अपनी बात सदन में रख रहे थे। हम ईसी (EC) के हलफनामे को लेकर गंभीर चर्चा कर रहे थे, लेकिन सत्ता पक्ष ने इसे हल्के में लिया।”
सत्ता पक्ष पर सीधा हमला
तेजस्वी ने उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर तीखा हमला बोला और कहा, “विजय सिन्हा को कुछ आता नहीं है, बस मीडिया में बने रहना चाहते हैं। जब हमने चुनाव आयोग के हलफनामे के 700 पन्नों के दस्तावेज रखे, तो वे तिलमिला गए।” उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के कुछ नेता ‘सूत्रों के हवाले से’ बयानबाज़ी करते हैं, लेकिन जब उनसे सबूत मांगे जाते हैं तो वे बौखला जाते हैं। तेजस्वी ने कहा, “मुख्यमंत्री को शायद कुछ पता ही नहीं था, जब हम बोल रहे थे तो वे उठकर बोलने लगे। हमें उनसे पूरी सहानुभूति है। अब मुख्यमंत्री की हालत ऐसी नहीं रही कि वे बिहार सरकार चला सकें। ये सरकार अब दिल्ली से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इशारे पर चल रही है।”
वोटर लिस्ट पर साजिश का आरोप
तेजस्वी यादव ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, “अब सरकार वोटरों को चुन रही है, पहले वोटर सरकार चुनते थे। लगभग 80 लाख वोटरों में से 8 लाख वोटरों के नाम लिस्ट से काटे जा रहे हैं, जो बहुत बड़ी साजिश है। इससे आम लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।”
सदन की कार्यवाही को बताया शर्मनाक
राजद नेता ने कहा कि आज सदन में गंभीर बहस होनी थी, लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं ने उसे बर्बाद कर दिया। “मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जब बोल रहे थे, तब उपमुख्यमंत्री बीच में क्यों कूदे? सदन किसी के बाप का नहीं है, जनता का है। भाई वीरेंद्र ने बिल्कुल सही कहा। तेजस्वी ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक और व्यवस्थित ढंग से चलाई जाए, ताकि विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले।