नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर जारी राजनीतिक बहस के बीच संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने विपक्ष पर मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) को लेकर झूठ फैलाया गया था, उसी तरह वक्फ बिल को लेकर भी गलत धारणाएं गढ़ी जा रही हैं। रिजीजू ने स्पष्ट किया कि सरकार पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए यह विधेयक ला रही है और इससे किसी समुदाय के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “झूठ फैलाने वालों को पहचानें” – कानून मंत्री की अपील
कानून मंत्री ने जनता से अपील की कि वे अफवाहों और गुमराह करने वाली बातों से बचें। उन्होंने कहा, “सरकार किसी भी समुदाय के अधिकारों पर अंकुश नहीं लगा रही है।
विपक्ष झूठ पर झूठ बोल रहा है और समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहा है।” रिजीजू ने आगे कहा कि मौजूदा कानून में बदलाव इसलिए किया जा रहा है क्योंकि “पुराना कानून तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बनाया गया था” और इसे ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाने की जरूरत है। लोकसभा में विपक्ष का विरोध जारी, सरकार का रुख साफ वक्फ (संशोधन) विधेयक लोकसभा में लंबित है और विपक्ष लगातार इसका विरोध कर रहा है। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में फिर से पेश करेगी। उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह संविधान के दायरे में रहकर किया जा रहा संशोधन है।
जेपीसी रिपोर्ट और विधेयक पर अंतिम निर्णय विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश की गई है। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा में 655 पन्नों की रिपोर्ट रखी, जिसमें विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार और प्रस्तुत किए गए साक्ष्य शामिल हैं। रिपोर्ट में सत्ता पक्ष के सांसदों ने विधेयक को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और आधुनिकता लाने वाला कदम बताया, जबकि विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार दिया और आरोप लगाया कि यह वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा। जेपीसी में यह रिपोर्ट 15 मतों के समर्थन और 11 मतों के विरोध के साथ पारित की गई, जिससे साफ हो गया कि सरकार इस विधेयक को लेकर दृढ़ संकल्पित है।
बजट सत्र में विधेयक पेश होने की संभावना मौजूदा बजट सत्र 4 अप्रैल को समाप्त हो रहा है, और संसद में सिर्फ चार कार्य दिवस शेष हैं। ऐसे में, यह देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को कब और कैसे पेश करती है और क्या विपक्ष इसे लेकर कोई नया रुख अपनाता है।