बिहार में शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने नियमों में बदलाव किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षा मिल सके। पहले आधार कार्ड जरूरी था, लेकिन अब नियमों में ढील दी गई है। इसके साथ ही, छात्रों को योजनाओं का लाभ पाने के लिए 75% उपस्थिति की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। इसके साथ ही, छात्रों को योजनाओं का लाभ पाने के लिए 75% उपस्थिति की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। राज्यभर में 6 साल के बच्चों का नामांकन कराने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। स्कूलों में पढ़ाई का नया टाइम टेबल भी लागू किया गया है, जिसमें बच्चों के लिए स्नैक्स ब्रेक और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को शामिल किया गया है।
शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि बच्चों को छात्रवृत्ति, पोशाक, मिड डे मील, कॉपी-किताब और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ बिना आधार कार्ड के ही दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अब किसी भी बच्चे को सिर्फ इसलिए शिक्षा से वंचित नहीं रखा जाएगा क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है।
बता दें कि जून 2024 में सरकार ने यह निर्देश जारी किया था कि बिना आधार कार्ड के किसी भी बच्चे का एडमिशन नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद कई सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी आई थी। खासकर ग्रामीण इलाकों में यह समस्या ज्यादा गंभीर थी। वहां बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र और आधार कार्ड बनवाने में लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने नियमों में ढील देने का फैसला किया है। नए नियम के अनुसार, एडमिशन के समय बच्चों के माता-पिता में से किसी एक का आधार कार्ड दिखाना काफी होगा। स्कूल में एडमिशन होने के बाद स्कूल के प्रिंसिपल बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में मदद करेंगे। ताकि बाद में उनका आधार कार्ड भी बनवाया जा सके।