रांची: झारखंड में आयोजित आदिवासी महोत्सव में सीएम हेमंत सोरेन के साथ राज्यपाल संतोष गंगवार उपस्थित हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल संतोष गंगवार ने महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। वहीं इस महोत्सव में झारखंड के विभिन्न कोनों से आए लोगों ने अपनी कला, संस्कृति और सभ्यता का प्रदर्शन किया। आदिवासी महोत्सव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा, “आदिवासी महोत्सव का आयोजन एक ऐसा दिन है जिसे आदिवासी समाज हमेशा याद रखेगा। राज्य को वीरों की धरती मानते हुए, आदिवासियों ने राज्य के निर्माण के लिए लंबा संघर्ष किया। कई लोगों ने अपनी जान की बलि दी और आज भी हम उनके बलिदानों को याद करते हैं।”वहीं सीएम ने एमएमएसवाई का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सम्मान राशि योजना के तहत हर महिला को सम्मान राशि देने की योजना बनाई है, जिससे समाज की तरक्की में योगदान हो सके।
इसके बाद राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी अपने संबोधन में झारखंड की वीरता की सराहना की और कहा, “झारखंड की धरती वीरों की धरती है। हमें शिक्षा, रोजगार और अन्य क्षेत्रों में और अधिक काम करने की आवश्यकता है। आदिवासी समाज में दहेज प्रथा जैसी कोई प्रथा नहीं है, लेकिन शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।” राज्यपाल ने अपने भाषण में विशेष रूप से छात्रवृत्ति वितरण और उच्च शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तारीफ की, जिन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर गांव की पहली महिला बनकर आदर्श स्थापित किया। अपने भाषण के दौरान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि झारखंड में पेशा कानून को लागू किया जाए, जिससे आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा की जा सके। इसे लेकर उन्होंने कहा, “झारखंड देश का पहला राज्य है जहां पेशा कानून लागू नहीं है, इसे लागू करने की जरूरत है।”