जब आध्यात्म और सत्ता एक ही मंच पर मिलते हैं, तब दृश्य सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक संदेश बन जाता है। रामनवमी के शुभ अवसर पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जब पटना के ऐतिहासिक महावीर मंदिर पहुंचे, तो यह सिर्फ एक औपचारिक भेंट नहीं रही, बल्कि यह उस सांस्कृतिक समरसता और विचारों की गहराई का मंच बन गया, जो आज के समय में दुर्लभ होती जा रही है।
राज्यपाल ने मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना की और श्रद्धालुओं के बीच पहुंचकर देश और प्रदेशवासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं दीं। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचा उनके विचारों ने – जो उन्होंने बेहद सहज परंतु प्रभावशाली अंदाज में व्यक्त किए।
राज्यपाल ने कहा कि “जैसे बिजली के तार में पॉजिटिव और नेगेटिव एनर्जी दोनों होती है, वैसे ही इंसानी सोच में भी होती है। आदमी को हमेशा पॉजिटिव एनर्जी के साथ आगे बढ़ना चाहिए।” बातचीत में जब उन्होंने अपने आदर्श स्वामी विवेकानंद का उल्लेख किया, तो एक अलग ही रोशनी बिखर गई। उन्होंने कहा कि “मैं पिछले 20 साल से कोई ऐसा भाषण नहीं देता जिसमें स्वामी विवेकानंद का जिक्र न हो। स्वामीजी कहते थे – मैं गिरजाघर में भी जाऊंगा, मस्जिद में भी जाऊंगा, जैन मंदिर में भी। यह मेरा अधिकार है।”
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि मंदिर आने पर कुछ लोग आपत्ति जता सकते हैं, तो राज्यपाल का उत्तर साफ और संतुलित था “हर किसी को राय देने का अधिकार है। इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।”
राज्यपाल के साथ समस्तीपुर की सांसद शाम्भवी चौधरी भी उपस्थित थीं। दोनों ने मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की। मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं के लिए यह क्षण विशेष रहा – जब राज्य के प्रथम नागरिक आध्यात्मिक रंग में रंगे दिखाई दिए।