Bihar SIR: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर पर जमकर सियासत हो रही है। उधर चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट रिवीजन के पहले चरण के तहत मसौदा सूची प्रकाशित कर दी। आंकड़े के अनुसार अब मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है जबकि पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। यानी करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम इस सूची से हटाए गए हैं। आरजेडी ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा कि किस आधार पर किसी व्यक्ति को ‘मृत’ या ‘स्थायी रूप से पलायन’ कर चुका माना गया? क्या परिवार से कोई प्रमाण पत्र लिया गया?
CPI(ML) जैसी अन्य पार्टियों ने पेशल इंटेंसिव रिवीजन को ‘वोटबंदी’ करार दिया है। उनका कहना है कि ये ‘नोटबंदी’ योजना की तरह ही है, जो गरीबों पर सबसे ज्यादा असर डालती है। कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में पूछा है कि कितने फॉर्म बिना फोटो या पहचान दस्तावेज के जमा हुए और क्या उन्हें BLO ने खारिज किया? आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर चुनाव आयोग ने यह मुद्दा हल नहीं किया तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का विकल्प खुला है।
Bihar SIR: 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए.. जानिए किस जिले में कितने वोटर कटे
चुनाव आयोग ने बताया है कि राजनीतिक दलों को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की प्रिंटेड कॉपी भी दी गई है। ताकि वे लिस्ट की जांच कर सकें और कोई भी ‘गलती या आपत्ति’ हो तो उसे ठीक करवा सकें। यह प्रक्रिया एक महीने यानि एक सितंबर तक चलेगी। इसके बाद आयोग फ़ाइनल लिस्ट जारी करेगी। हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने राफ्ट वोटर लिस्ट की प्रिंटेड कॉपी शेयर करने पर आपत्ति ज़ाहिर की है। आरजेडी का कहना है कि आयोग उन्हें ये डाटा पेन ड्राइव या सीडी में दे ताकि आसानी से जांच की जा सके।
चुनाव आयोग के पोर्टल पर जारी हो गई वोटर लिस्ट.. वीडियो में देखिए कैसे चेक करेंगे अपना नाम
वहीं कांग्रेस ने आपत्ति ज़ाहिर करते हुए चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि अब तक वोटर लिस्ट में कितने विदेशी नागरिक थे और क्या उन्हें इस ड्राफ्ट लिस्ट से हटाया गया है? दूसरी ओर एनडीए (BJP के नेतृत्व वाला गठबंधन) का आरोप है कि बिहार, विशेष तौर पर कोसी और सीमांचल इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या रहते हैं, जिन्होंने अवैध तरीके से वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाकर रखा था। गठबंधन का कहना है कि इन वोटरों को बचाने के लिए विपक्षी दल ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का विरोध कर रहे हैं।