दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 4 सितंबर 2025 को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन की मौजूदगी में यह अधिवेशन पूरी तरह चुनावी रंग में डूबा नजर आया। इसमें देशभर से आए कार्यकर्ताओं, विधायकों और पदाधिकारियों ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर गहन विमर्श किया।
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कार्यक्रम का उद्घाटन पार्टी संरक्षक जीतनराम मांझी ने किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साफ कहा कि अब चुनाव में केवल एक महीना शेष है, ऐसे में हर कार्यकर्ता को जनता तक पहुंचना होगा। मांझी ने बिहार से बाहर काम कर रहे मजदूरों के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा की मांग की ताकि प्रवासी मजदूर भी लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर सकें। उन्होंने जीएसटी में हालिया कटौती को गरीबों और मजदूरों के लिए ऐतिहासिक बताया और कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने जो 34 फैसले लिए थे, उनमें से कई का अभी तक अनुपालन नहीं हुआ है, जिसे जल्द लागू करना चाहिए।

मांझी ने एनडीए में हम पार्टी की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि गठबंधन में पार्टी को उसकी ताकत के अनुरूप महत्व मिलना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति मजबूत है, वहां तत्काल बूथ समितियों का गठन किया जाए और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ चुनावी तैयारी में लग जाएं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन ने अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए बिहार सरकार की विकासपरक योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क रखरखाव के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का टेंडर पास किया है और महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए 10 हजार से 2 लाख रुपये तक की सहायता राशि देने की योजना लागू की है। इसके साथ ही पत्रकारों की पेंशन राशि 15 हजार रुपये कर दी गई है, जो पूरे देश के लिए एक मिसाल है। डॉ. सुमन ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे धैर्य और संयम के साथ मेहनत करें क्योंकि पार्टी में वही आगे बढ़ेगा जो जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करेगा।
अधिवेशन में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों ने भी संबोधन किया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी ने साफ संकेत दिया कि हम पार्टी बिहार चुनाव में अपनी भूमिका को लेकर गंभीर और सक्रिय है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अधिवेशन न केवल संगठनात्मक एकजुटता का प्रदर्शन था, बल्कि आगामी चुनाव में एनडीए के भीतर हम पार्टी की ताकत और हिस्सेदारी का संदेश देने की भी रणनीति थी।
अधिवेशन में पारित प्रमुख 10 प्रस्ताव
- प्रधानमंत्री जी की माता को अपमानित करने पर इंडिया गठबंधन के खिलाफ निन्दा प्रस्ताव पारित।
- प्रत्येक दलित परिवार को 5 डिसमिल जमीन पर घर बनाने हेतु सरकार से मांग।
- समान शिक्षा प्रणाली लागू करने पर जोर।
- बिहार चुनाव में अधिक सीटों पर मजबूती से लड़ने का संकल्प।
- सामाजिक समीकरण और विचार-विमर्श।
- भूमिहीन परिवारों, दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े व भूतपूर्व सैनिकों को कृषि जमीन का मालिक बनाने की मांग।
- बिहार से बाहर पलायन कर चुके मजदूरों की वापसी और रोजगार की व्यवस्था।
- वृद्धा पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर चर्चा।
- गरीब और वंचित लोगों तक अधिकतम लाभ पहुँचाने हेतु कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का निर्णय।





















