देवघर: देवघर यानी देवताओं का घर। यहां कण कण में दर्शन हो जाते है हरि और हर के। परंपराओं रीती रिवाजों के इस शहर में यहां सालों भर धार्मिक अनुष्ठान एवं पर्व त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र ऐसी ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ का मंदिर है जहां पर हरी और हर का मिलन होता है। ऐसी मांन्ता है कि मान्यता है कि होलिका दहन के बाद बाबा बैद्यनाथ मंदिर में हरी और हर का मिलन हुआ था। हरि का मतलब है भगवान विष्णु, हर का मतलब है बाबा बैद्यनाथ।
ये मिलन होली के मौके पर कराया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत रावण के द्वारा आत्म लिंग को लंका ले जाने से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार जिस समय रावण आत्म लिंग लेकर लंका जा रहे थे, उस वक्त लिंग को धारण करने से पहले भोलेनाथ ने रावण से कहा था कि जहां पर मेरा आत्म लिंग धरती पर स्पर्श करोगे, मैं वहीं पर स्थापित हो जाऊंगा। कैलाश से निकाल कर जब वे हार्दिकी वन, जो वर्तमान में हरला जोड़ी के नाम से जाना जाता है, वहां पर रावण को तीव्र लघुशंका लग गई। आसपास में घने जंगल निर्जन स्थल होने के कारण कोई नहीं दिखाई पड़ रहा था। उसी समय भगवान विष्णु चरवाहे के रूप में प्रकट हुए। रावण ने उन्हें देखकर आत्म लिंग पकड़ने के लिए कहा।
इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि महाराज यह तो बहुत भारी है मैं ज्यादा देर तक पकड़ कर नहीं रह सकता हूं, इसलिए जल्दी आ जाइएगा। भगवान हरि ने बाबा बैजनाथ को किया था स्थापित रावण के बहुत देर तक लघु शंका में रहने के कारण भगवान विष्णु अपनी माया से वहां से निकलकर माता सती का जहां पर हृदय गिरा था, वहां पर बाबा बैजनाथ को स्थापित कर दिया। वह दिन फागुन पूर्णिमा का दिन था। तभी से बाबाधाम ने हरी और हर का मिलन की परंपरा चली आ रही है। देवघर के लोग इस दिन को बाबा बैद्यनाथ की स्थापना दिवस के रूप में भी धूमधाम से मनाते हैं। इस बार 13 मार्च को हरिहर मिलन रात्रि 11:30 बजे होगा। इससे पूर्व रात 10:50 बजे पर होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है। बाबा धाम में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।