शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानसून के आगमन से पहले आपदा प्रबंधन और तैयारियों पर एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की। विशेष सचिव (आपदा एवं राजस्व) डीसी राणा ने बताया कि मानसून फसलों और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही यह नुकसान भी पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा, “हर साल हम मानसून के लिए तैयारियों में पूरा प्रयास करते हैं, और इस बार भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस पर काम कर रहे हैं।”
बैठक में आपातकालीन संचार प्रणालियों, जैसे सैटेलाइट फोन और आई-सेट्स, की समीक्षा की गई। राणा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 30 से अधिक बांध हैं, और इनसे अचानक पानी छोड़े जाने पर नुकसान हो सकता है। इसलिए, बांधों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें जल्दी चेतावनी प्रणाली और चुप्पी बनाए रखने की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
राज्यव्यापी मेगा मॉक एक्सरसाइज की नौवीं संस्करण 6 जून, 2025 को पूरी हुई, जिसका नेतृत्व मुख्य सचिव मोहड़े ने किया। इस अभ्यास में सभी विभागों, केंद्रीय सरकार के एजेंसियों और उपायुक्तों के साथ समन्वय किया गया। मई में जारी 20 बिंदुओं की चेकलिस्ट पर समीक्षा की गई, जिसमें प्रभावी प्रतिक्रिया और आजीविका के नुकसान को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
बैठक में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), केंद्रीय जल आयोग, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और विभिन्न राज्य सरकार विभागों सहित कई एजेंसियां शामिल हुईं। राणा ने कहा, “हमारे प्रयास निरंतर हैं, लेकिन मानसून की अप्रत्याशित प्रकृति के बावजूद, हमें बेहतर तैयारी करनी चाहिए।”
इस बैठक के माध्यम से सरकार ने मानसून के दौरान जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए proactive planning और सख्त निगरानी पर जोर दिया है।