रांची: सनातन धर्म में त्योहारों के समय और मूहूर्त का विशेष महत्व होता है। होली के दौरान भी ऐसे कई योग बनते है जिसमें कोई शुभ काम तो नहीं किया जा सकता परंतु इस योग में दुष्ग्रहों से छुटकारा पाया जा सकता है। बता दें होली से पहले ग्रहों के उग्र रहने के कारण होलाष्टक लग जाता है। हिंदू धर्म में होलाष्टक को अच्छा समय नहीं माना जाता है। इस समय शुभ और मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि करने की मनाही होती है। वहीं होली से पहले के 8 दिनों में शुभ ग्रहों का प्रभाव कम रहता है। इससे क्रूर ग्रह राहु – केतु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके चलते इन 8 दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। हालांकि ये समय पूजा-आराधना और उपाय करने के लिए अच्छा होता है।
जो जातक राहु के अशुभ प्रभाव से परेशान हैं, उनके लिए तो यह समय बहुत अच्छा है. वे होली के दिन राहु के उपाय कर सकते हैं। इससे करियर-व्यापार में आईं अड़चनें दूर होती हैं और तेजी से तरक्की पाने के रास्ते खुलते हैं। माना जाता है कि जब शिवजी ने कामदेव को भस्म किया उसी समय से होलाष्टक माना जाने लगा। इसके बाद भगवान कामदेव की पत्नी ने भगवान शिव को पूजा करके प्रसन्न किया और पूरी घटना बताई कि कैसे कामदेव माता पार्वती की मदद कर रहे थे।
तब भगवान शिव ने उन्हें श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। साथ ही तब से होली के समय राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही इस अवसर पर यदी राीु के कुप्रभाव को शांत काने का प्रयास किया जाए तो वो भी बेहद फलदायी होता है। जिन लोगों पर राहु की प्रतिकूल दशा चल रही है या राहु का गोचर जिन राशियों पर अशुभ डाल रहा है, उन्हें होली के मौके पर राहु उपाय कर लेना चाहिए। होलिका दहन की रात को सिद्धि की रात माना जाता है। इस रात में राहु के उपाय करने से शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
- होली दहन की रात पूरे भक्ति-भाव से महामृत्युंजय मंत्र का जप करें.
- होली की रात रात के मध्यकाल यानी निशिथ काल में भगवान शिव और राहु के मंत्रों का जप करें. इससे राहु का अशुभ प्रभाव कम होता है.
- राहु से जुड़ी वस्तुओं जैसे मौली, सप्त अनाज का दान करें. पक्षियों को 7 तरह के अनाज खिलाने राहु का प्रभाव कम होता है. यह उपाय आप रोज कर सकते हैं.