बिहार में होली के जश्न से ज्यादा अब होली पर विवाद की गूंज सुनाई दे रही है। रंगों का त्योहार, जो खुशी और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, इस बार सियासत के रंग में पूरी तरह सराबोर हो गया है। दरभंगा की मेयर अंजुम आरा के एक बयान ने इस विवाद को और हवा दे दी है, जिससे सदन से लेकर सड़क तक बवाल मच गया है।
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क्या कहा था मेयर ने?
दरभंगा की मेयर अंजुम आरा ने प्रशासन से अनुरोध किया था कि 12:30 बजे से 2:00 बजे तक होली के उत्सव को रोका जाए, ताकि जुमे की नमाज में कोई बाधा न आए। उनका कहना था कि होली के समय में थोड़ा बदलाव किया जा सकता है, लेकिन नमाज का समय बदला नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी अपील की कि होली खेलने वाले लोग मस्जिदों और नमाज स्थलों से दो घंटे की दूरी बनाए रखें।
सियासी गलियारों में मचा बवाल
मेयर के इस बयान को लेकर बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि “दरभंगा की मेयर समाज में आग लगाना चाहती हैं। वे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इस्लामीकरण और जिहादीकरण को बढ़ावा दे रही हैं, जो बिहार में नहीं चलेगा।”
बीजेपी विधायक ने किया पलटवार
हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि “कोई माई का लाल बिहार में होली मनाने से नहीं रोक सकता। होली धूमधाम से मनेगी, और यह त्योहार कोई नया नहीं है। जब-जब होली और रमजान एक साथ आए हैं, तब-तब दोनों समुदायों ने समझदारी से इसे मनाया है। लेकिन अब इस मुद्दे को सियासत के लिए उछाला जा रहा है।”
विवाद की जड़ कहां?
दरअसल, कुछ दिन पहले हरिभूषण ठाकुर बचौल ने एक और विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि “होली के दिन मुसलमान घर से बाहर न निकलें, और अगर बाहर निकल रहे हैं तो अपना कलेजा बड़ा रखें। यदि कोई आपको रंग लगा दे, तो उसे बर्दाश्त करें।” उनके इस बयान पर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जिसके बाद अब मेयर अंजुम आरा के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है।
विवाद की असली जड़ होली का रमजान और जुमा के दिन पड़ना है। इतिहास में भी कई बार ऐसा हुआ है जब होली और रमजान एक साथ आए और समाज ने समझदारी से दोनों त्योहारों को मनाया। लेकिन इस बार यह मुद्दा केवल सामाजिक नहीं, बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक बन गया है।