Imamganj Bihar Assembly Election 2025: इमामगंज, बिहार का एक संवेदनशील और प्रमुख विधानसभा क्षेत्र, 2025 के विधानसभा चुनाव में फिर से राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। यह विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और इतिहास में हमेशा ही बदलाव और राजनीतिक उतार-चढ़ाव का प्रतीक रहा है। क्षेत्र की राजनीति में HAMS और RJD मुख्य दलों के रूप में छाए हुए हैं, जबकि जीतन राम मांझी का प्रभाव यहां अब भी प्रबल है।
राजनीतिक इतिहास
इतिहास बताता है कि इमामगंज विधानसभा क्षेत्र ने अब तक कुल 17 चुनाव देखे हैं। प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर चार बार जीत हासिल की, लेकिन बाद में समता पार्टी और नीतीश कुमार की JDU ने इस सीट पर प्रभुत्व जमाया। JDU के दौरान जीतन राम मांझी का प्रभाव विशेष रूप से मजबूत रहा, जिन्होंने एससी समुदाय के बीच गहरी पैठ बनाई। 2000 के दशक के बाद मांझी ने JDU छोड़कर अपनी पार्टी HAMS (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) बनाई और लगातार तीन बार इमामगंज में जीत हासिल की।
चुनाव और उप चुनाव के नतीजे
2020 के विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने HAMS के टिकट पर 78,762 वोट हासिल किए, जो कुल वोट शेयर का 45.36% था। उन्होंने RJD के उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी को 16,034 वोटों के अंतर से हराया। 2015 के चुनाव में भी मांझी ने 79,389 वोट हासिल कर Uday Narain Choudhary को 29,408 वोटों के अंतर से हराया था। यह अंतर दर्शाता है कि उनके व्यक्तिगत प्रभाव और स्थानीय जनसमर्थन ने हमेशा चुनावी परिणाम तय किए हैं।
शेरघाटी विधानसभा सीट: JDU की हार और RJD की जीत ने बदला गया का सियासी संतुलन
2024 में जीतन राम मांझी के लोकसभा चुनाव जीतने और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देने पर उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में उनकी बहू, दीपा मांझी ने HAMS की झंडी को बरकरार रखते हुए मात्र 5,945 वोटों के अंतर से सीट जीती। इस चुनाव में जन सुराज पार्टी, जो प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित है, ने तीसरा स्थान हासिल किया और 37,082 वोट जुटाए, जिससे जीत का अंतर और भी सिमट गया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में संपन्न होंगे, पहले चरण के लिए मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर निर्धारित है। परिणाम 14 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे। इमामगंज में HAMS और RJD के बीच चुनावी मुकाबला इस बार भी तीव्र होने की संभावना है, क्योंकि दोनों दलों के पास क्षेत्रीय और जातीय आधार मजबूत हैं।






















