नई दिल्ली : वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य सभा सांसद कपिल सिब्बल ने अध्यक्ष के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर छह महीने से अधिक समय से कोई कार्रवाई न होने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सिब्बल ने कहा कि 13 दिसंबर 2024 को 55 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
सिब्बल के अनुसार, “अध्यक्ष को केवल हस्ताक्षरों की पुष्टि करनी थी, लेकिन छह महीने बीत जाने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।” उन्होंने आगे कहा, “या तो कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, या 5-6 हस्ताक्षर अमान्य घोषित कर दिए जाएंगे ताकि प्रस्ताव को खारिज किया जा सके।”इस देरी से भारतीय लोकतंत्र की जवाबदेही और संस्थागत प्रक्रियाओं पर सवाल उठ रहे हैं।
यह घटनाक्रम भारतीय संसदीय प्रणाली में अध्यक्ष की भूमिका और उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, खासकर जब संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की बात आती है।