एक प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार समूह ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न पर गंभीर चिंता जताई है. समूह ने चेतावनी दी है कि देश में व्याप्त धार्मिक असहिष्णुता के कारण ईसाई, हिंदू, अहमदिया, सिख और अन्य लोगों को उपेक्षा, टारगेट अटैक और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है.
वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट (CSOH) की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए, वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (VOPM) ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति “बेहद खराब” होती जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी के बावजूद, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लगातार खतरे में रहते हैं और न्याय की उम्मीद कम ही है.
VOPM ने जोर देकर कहा कि इस उत्पीड़न का मूल कारण पाकिस्तान का विवादास्पद ईशनिंदा कानून है, जिसका बड़े स्तर पर धमकाने, व्यक्तिगत विवादों को निपटाने या धन उगाहने के लिए दुरुपयोग किया गया है. इसमें आगे कहा गया है कि आरोप, चाहे वे सच्चे हों या मनगढ़ंत, यह अक्सर देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ को भड़काने के लिए पर्याप्त होते हैं.

















