IND vs ENG : इंग्लैंड ने भारत को 22 रन से हरा दिया। सोमवार को लॉर्ड्स टेस्ट के आखिरी दिन मेजबानों ने भारतीय टीम को 170 के स्कोर पर ऑलआउट किया और मुकाबला अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से बढ़त हासिल कर ली। लेकिन इस मैच में इंग्लैंड की जीत से ज्यादा इंडिया के हार के चर्चे हो रहे हैं। बता रहे हैं क्रिकेट के प्रशंसक हेसामुद्दीन अंसारी..
लार्डस टेस्ट की चर्चा काफी समय तक होगी, क्योंकि ऐसे टेस्ट बहुत कम ही देखने को मिलते हैं जहां रन नहीं बन रहे हैं, बल्लेबाज सिर्फ डिफेंस कर रहा है, फिर भी देखने वालों की दिलचस्पी कम नहीं होती। जीतने वाले से ज्यादा चर्चा हार की होगी। ये खेल है खिलाड़ी गलती भी करेंगे, हमें देखने पर यही महसूस होगा कि कितनी लापरवाही से खेले हैं, शॉट का चयन बेहतर हो सकता था, फील्डिंग और कीपिंग बेहतर हो सकती थी, बॉलिंग और टाइट हो सकती थी। लेकिन जिसने किसी भी लेवल का क्रिकेट खेला है उन्हें पता है कि शॉट चयन में गलतियां होती है क्योंकि सोचने का ज्यादा वक्त नहीं होता, मिशफील्ड भी होती है और कभी कभी बॉलर ज्यादा कोशिश करके, बेस्ट स्पेल डाल कर भी विकेट नहीं ले पाता।
नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान: 2025-2030 तक 1 करोड़ युवाओं को मिलेगी नौकरी, कैबिनेट ने दी मंजूरी
इस लार्ड्स टेस्ट में सबसे ज्यादा चर्चा रविन्द्र जडेजा की होगी, कुछ पॉजिटिव तो कुछ नेगेटिव। रविन्द्र जडेजा ने पहली इनिंग में 71 रन बनाए और 131 बॉल खेले। दूसरी इनिंग में भी सबसे ज्यादा रन और बॉल खेलते हुए 181 बॉल खेलकर 61 रन बनाकर नॉट आउट रहें। अगर मुझसे व्यक्तिगत सवाल किया जाता तो मैं भी असमंजस में रहता कि इस इनिंग को कैसे परिभाषित करूं। दिल कहता था कि बुमराह व सिराज के साथ पार्टनरशिप में थोड़ी कोशिश कर सकते थे बाउंड्री लगाने की, फिर दिमाग कहता था कि 80 रन बनाने को बचे हैं मात्र दो विकेट बचे हैं सबसे आसान रास्ता तो यही होता कि अपने हाथ में स्ट्राइक रखकर बाउंड्री लगाने की कोशिश करते, मगर जैसी पिच थी और जिस लाइन लेंथ पर गेंदबाजी हो रही थी वो जल्द आउट हो जाते। फिर जडेजा ने एक मुश्किल रास्ता चुना कोशिश की कि धीरे–धीरे स्कोर के नजदीक पहुंचा जाए। पहले रास्ते में आलोचना की कोई गुंजाइश नहीं थी फिर भी दूसरा रास्ता चुना।
अंत में जब बुमराह के आउट होने के बाद सिराज बल्लेबाजी करने आए तो 45 रनों की दरकार थी, जब लंच हुआ तो उसके बाद 30 रन बनाने थे। मुझे लगता है कि इसके बाद जरूर ज्यादा से ज्यादा स्ट्राइक रखकर हर ओवर में एक बाउंड्री लगाने की कोशिश करनी चाहिए थी। नीतीश, बुमराह और फिर सिराज के आउट होने के बाद जडेजा का जैसा रिएक्शन था उससे पता चल रहा था कि उनका दिल पूरी तरह टूटा था।
आलोचना तो सभी खिलाड़ी की होती है लेकिन तारीफ भी बनती है एक ऐसी पिच पर जहां खड़े होना ही मुश्किल था वहां 181 गेंद खेल जाना और अपने साथ पुछल्ले बल्लेबाजों को भी खिलाते रहना तारीफ योग्य है। इस मैच के बाद सबसे ज्यादा निराश और हताश खिलाड़ी जडेजा ही होंगे। आलोचना से परे जोरदार संघर्ष के लिए बुमराह और सिराज के साथ साथ रविन्द्र जडेजा की होनी चाहिए।