नई दिल्ली: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए विश्व में तीसरा सबसे बड़ा सौर और पवन ऊर्जा उत्पादक देश बनने का गौरव प्राप्त किया है। भारत ने इस मामले में जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है, जो लंबे समय से इस क्षेत्र में अग्रणी रहा है।भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता अब 108 गीगावाट (GW) तक पहुँच गई है, जबकि पवन ऊर्जा क्षमता 51 गीगावाट है।
देश अब अपनी कुल बिजली का 10% हिस्सा इन नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त कर रहा है, जो भारत की सतत भविष्य और वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत की राष्ट्रीय सौर मिशन और अन्य सरकारी नीतियों का परिणाम है, जिन्होंने 2014 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से वृद्धि को बढ़ावा दिया है। उस समय भारत की सौर ऊर्जा क्षमता मात्र 2.6 गीगावाट थी, लेकिन 2022 तक 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य के साथ भारत ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है।
2019 से 2024 तक भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रतिवर्ष 26% की वृद्धि दर्ज की गई, जो जर्मनी के 15% की तुलना में कहीं अधिक है।हालांकि, इस प्रगति के बावजूद, भारत को अभी भी ग्रिड एकीकरण और ऊर्जा भंडारण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुसार, भारत की 30% सौर ऊर्जा क्षमता अभी भी बुनियादी ढांचे की कमी के कारण उपयोग में नहीं लाई जा सकी है। यह स्थिति 2030 तक 50% नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा बन सकती है।
भारत सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए 2023 में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना को और मजबूत किया है, जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के बेहतर एकीकरण और वितरण को सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की विशाल भौगोलिक स्थिति और सरकारी प्रोत्साहन इस क्षेत्र में और अधिक विकास की संभावनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।यह उपलब्धि भारत के लिए न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक हरित ऊर्जा नेता के रूप में देश की स्थिति को भी मजबूत करती है।