क़िंगदाओ, चीन : शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 2025 सम्मेलन में भारत ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि घोषणापत्र में आतंकवाद के मुद्दे को पर्याप्त रूप से संबोधित न करने के कारण यह निर्णय लिया गया।
सम्मेलन के दौरान सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है और किसी भी देश को आतंकवाद को नीति का हिस्सा बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने SCO से ऐसे देशों की आलोचना करने का आग्रह किया, जो आतंकवाद को शरण देते हैं।
ऐसी दोहरी नीतियों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे राष्ट्रों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी रूप में आतंकवाद अपराध और अमानवीय है, चाहे वह कब, कहाँ और किसके द्वारा किया गया हो।
इस निर्णय के पीछे का संदर्भ भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों से जुड़ा है, जो 2017 में एससीओ में पूर्ण सदस्यता के बाद से संगठन की गतिशीलता को जटिल बना रहा है। चीन के साथ भी सीमा विवाद और तनाव भारत की चिंताओं को और बढ़ा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत ने आतंकवाद के मुद्दे को कमजोर करने की किसी भी कोशिश का विरोध किया है और घोषणापत्र में इसकी अनुपस्थिति को अस्वीकार्य माना है। यह कदम भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है और संगठन के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।
एससीओ, जो 2001 में स्थापित हुआ था, में अब दस सदस्य देश शामिल हैं, जिसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं। संगठन का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, लेकिन सदस्य देशों के बीच विवाद संगठन की प्रभावशीलता को चुनौती देते रहे हैं।
इस घटनाक्रम से भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर उसकी दृढ़ता एक बार फिर सामने आई है, जबकि एससीओ के अन्य सदस्य देश इस निर्णय के प्रभावों का आकलन कर रहे हैं।