जकार्ता, इंडोनेशिया: जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद और ऑल-पार्टी डेलिगेशन ग्रुप 3 के नेता संजय कुमार झा ने इंडोनेशिया के नेशनल मैनडेट पार्टी (PAN) के नेताओं से मुलाकात के दौरान 2025 के पहलगाम हमले के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे निर्दोष लोगों को सिर्फ उनके धर्म के आधार पर उनके परिवारों के सामने मार दिया गया। झा ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जबकि भारत आर्थिक रूप से लगातार प्रगति कर रहा है।
PAN के नेताओं ने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी सेना ऐसे गतिविधियों का समर्थन करती है और भारत को अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया। यह मुलाकात भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जुटाने के प्रयासों का हिस्सा थी।
पहलगाम हमला, जो 22 अप्रैल 2025 को हुआ, भारत में 2008 के मुंबई हमलों के बाद सबसे घातक नागरिक हमला माना जाता है। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए, जिसमें हिंदू पर्यटकों को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया। इस घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, जहां भारत लगातार पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।
इंडोनेशिया की नेशनल मैनडेट पार्टी, जो एक मुस्लिम लेकिन इस्लामवादी नहीं है, ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग की बात कही। PAN के अध्यक्ष एडी सोपरनो ने ANI से बात करते हुए कहा कि भारत देशों के बीच विश्वास निर्माण को प्रोत्साहित करता है और इंडोनेशिया भी आतंकवाद की निंदा करता है। उन्होंने कहा, “हमने आतंकवाद की रोकथाम पर सहयोग पर अच्छी चर्चा की। इंडोनेशिया खुद आतंकवादी हमलों का शिकार रहा है, इसलिए हम आतंकवाद के पूर्ण प्रभाव को समझते हैं। हम शांति का समर्थन करते हैं।”
पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। वेब खोज परिणामों से पता चलता है कि पाकिस्तान की सरकार पर अपने क्षेत्र में संचालित आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है, जो भारत पर हमला करते हैं। हाल के वर्षों में, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सहित कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने पाकिस्तान पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
यह घटना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ समर्थन मिल रहा है। इंडोनेशिया का समर्थन इस बात का संकेत है कि भारत की चिंताओं को वैश्विक मंच पर गंभीरता से लिया जा रहा है।