नयी दिल्ली: लोकसभा ने आज आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 (इमिग्रेशन बिल) को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जो देश में प्रवेश, निवास और यात्रा की प्रक्रियाओं को आसान व पारदर्शी बनाने के साथ-साथ विदेशियों और आप्रवास से जुड़े मामलों को व्यवस्थित करने का लक्ष्य रखता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशन में जूनियर गृह मंत्री नित्यानंद राय ने इस विधेयक को सदन में पेश किया। चर्चा के दौरान शाह ने साफ शब्दों में कहा कि भारत विकास में योगदान देने वालों का स्वागत करता है, लेकिन रोहिंग्या या बांग्लादेशी जैसे परेशानी खड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
शाह ने जोर देकर कहा, “भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी आकर बस जाए।” उन्होंने इस विधेयक को भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के सपने से जोड़ा और कहा कि यह बुरे इरादे से आने वालों की पहचान करने में भी कारगर होगा। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यवसाय के लिए आने वालों का हृदय से स्वागत करेगी, लेकिन खतरा पैदा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
पुराने कानूनों को जोड़कर बना नया ढांचा
शाह ने बताया कि यह विधेयक आजादी से पहले के चार पुराने कानूनों को समाहित कर तैयार किया गया है। तीन साल की गहन मेहनत और विचार-मंथन के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल देश की ब्रांडिंग और रोजगार के अवसर बढ़ाएगा, बल्कि जीडीपी वृद्धि में भी अहम भूमिका निभाएगा। इसमें पासपोर्ट, विदेशी अधिनियम और अवैध रूप से रहने वालों को रोकने के प्रावधानों के साथ डेटा व दस्तावेज प्रबंधन को भी मजबूत किया गया है।
सकारात्मक योगदान पर जोर
चर्चा में शाह ने उन भारतीयों का उदाहरण दिया जो विदेश जाकर वहां सकारात्मक प्रभाव छोड़ आए। उन्होंने कहा कि भारत को भी ऐसा कानूनी ढांचा चाहिए जो योगदान देने वालों को प्रोत्साहित करे और खतरे पैदा करने वालों पर नकेल कसे। शाह ने विपक्ष से आग्रह किया कि इस तरह के महत्वपूर्ण विधेयक का राजनीतिक कारणों से विरोध नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह देश के भविष्य के लिए जरूरी कदम है। लोकसभा से मंजूरी के बाद यह विधेयक अब देश की आप्रवासन नीति को आधुनिक और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।