नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ताजा घटनाक्रम में भारत सरकार ने पाकिस्तान हाई कमीशन के एक अधिकारी को ‘परसोना नॉन ग्राटा’ (अवांछित व्यक्ति) घोषित कर दिया है और उन्हें 24 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई तब की गई है, जब हाल ही में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए थे।
सूत्रों के अनुसार, यह कदम यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी के बाद उठाया गया है, जिन्हें पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया था। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह अधिकारी अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग कर ऐसी गतिविधियों में शामिल था, जो भारत के हितों के खिलाफ थीं। इस संबंध में पाकिस्तान हाई कमीशन के चार्ज डी’अफेयर्स को एक डिमार्श जारी कर सख्त चेतावनी दी गई है कि उनके राजनयिक अपनी स्थिति और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग न करें।
यह घटना हाल के महीनों में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की एक कड़ी है। अप्रैल 2025 में पहलगाम, कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख ठिकाना बहावलपुर भी शामिल था। इसके बाद 6 मई 2025 को भारतीय सेना ने पुलवामा के पंपोर में पाकिस्तान के एक जे एफ-17 लड़ाकू विमान को मार गिराया था, जो भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहा था।
इससे पहले 13 मई 2025 को पाकिस्तान ने भी एक भारतीय राजनयिक को जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया था, जिसे भारत ने “निराधार” करार दिया था। दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर तनाव लगातार बढ़ रहा है। पाकिस्तान ने भिंबर गली और पुंछ-राजौरी क्षेत्रों में भारी मोर्टार गोलाबारी की, जिसका भारत ने भी जवाब दिया। इसके अलावा, भारत ने सिंधु और चेनाब नदियों के पानी पर नियंत्रण को लेकर भी सख्त रुख अपनाया है, जिसे पाकिस्तान ने “जल युद्ध” की संज्ञा दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ताजा घटनाक्रम दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को और खराब कर सकता है। कश्मीर में 2003 के संघर्ष विराम समझौते को बहाल करने की कोशिशें मई 2018 में शुरू हुई थीं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसे फिर से खतरे में डाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप कर दोनों देशों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि स्थिति और न बिगड़े।
इस कार्रवाई से भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भी इस कार्रवाई को “उकसावेपूर्ण” बताते हुए जवाबी कदम की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच बढ़ता यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।