नई दिल्ली: राजसभा के मनोनीत सदस्य सतनाम सिंह संधू ने आज एक बयान में कहा कि पाकिस्तान को कल्याण और विकास के लिए जो धन मिल रहा है, उसका इस्तेमाल वह आतंकवाद के लिए कर रहा है। संधू ने अल्जीयर्स, अल्जीरिया में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में यह बयान दिया, जहां उन्होंने FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को फिर से शामिल करने की मांग की।
संधू ने कहा, “पाकिस्तान को जो धन मिल रहा है, उसका इस्तेमाल वह आतंकवाद के लिए कर रहा है। हमने FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की बात की है, लेकिन इसके अलावा वह इस उद्देश्य के लिए बड़ी मात्रा में ड्रग मनी का भी इस्तेमाल करता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि देशों को इस बात पर भारत का समर्थन करना चाहिए कि जब पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जाएगा, तो उसे हर पैसे का हिसाब देना होगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने हाल ही में पाकिस्तान को IMF (इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड) से मिलने वाले $7 बिलियन के पैकेज के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। भारत का मानना है कि यह धन आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है। इससे पहले, भारत ने विश्व बैंक के पाकिस्तान को $1 बिलियन के ऋण पर भी आपत्ति जताई थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया।
पाकिस्तान को अक्टूबर 2022 में FATF की ग्रे लिस्ट से हटाया गया था, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय ऋण और सहायता तक पहुंचने में आसानी हुई थी। हालांकि, भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ नियमों का पालन नहीं किया है, और इसलिए उसे फिर से ग्रे लिस्ट में डाला जाना चाहिए।
संधू के बयान को मानवाधिकार संगठनों और अमेरिकी राज्य विभाग की रिपोर्टों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के आरोप लगाते हैं। भारत का मानना है कि पाकिस्तान की वित्तीय पारदर्शिता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए जाने चाहिए।
यह मुद्दा क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की पाकिस्तान की वित्तीय प्रथाओं पर प्रतिक्रिया को प्रभावित करने वाला है, खासकर जब FATF की आगामी बैठकें इस मुद्दे पर निर्णय लेने वाली हों।