नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद सुलझाने की कोशिशें नाकाम हो गई हैं। दोनों देशों के बीच चली बातचीत बेनतीजा रही, जिसके बाद अब यह पक्का हो गया है कि 2 अप्रैल से अमेरिका भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर देगा। अमेरिकी व्यापारिक दल हाल ही में भारत आया था, लेकिन कोई ठोस हल निकाले बिना उनकी वापसी हो गई। अब भारत के सामने व्यापारिक संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ का मसला?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि भारत जैसे देश, जो अमेरिकी सामानों पर भारी टैरिफ लगाते हैं, उन्हें भी वैसा ही जवाबी टैक्स झेलना होगा। ट्रंप का तर्क है कि भारत का अमेरिका के साथ व्यापार सरप्लस (अधिक निर्यात, कम आयात) है, जिसे संतुलित करने के लिए यह कदम जरूरी है। इसी नीति के तहत 2 अप्रैल से नए टैरिफ लागू होने जा रहे हैं।
भारत की कोशिशें बेकार
हालांकि, दोनों देश इस साल के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के कुछ हिस्सों पर सहमति बनाने को तैयार हैं, लेकिन टैरिफ में छूट को लेकर कोई संकेत नहीं मिला। वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि दोनों पक्षों ने बाजार पहुंच, टैरिफ कम करने और सप्लाई चेन मजबूत करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। मंत्रालय का लक्ष्य 2025 तक समझौते का पहला चरण पूरा करना है, पर तात्कालिक राहत की कोई उम्मीद नहीं दिखी।
निर्यात पर भारी चोट
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ से भारत का निर्यात अगले वित्त वर्ष में 7.3 अरब डॉलर तक घट सकता है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत के लिए यह झटका बड़ा हो सकता है। पिछले दो महीनों में भारत ने तनाव कम करने के लिए मोटरसाइकिलों और बॉर्बन व्हिस्की जैसे उत्पादों पर टैरिफ घटाया था, लेकिन यह कोशिश नाकाफी साबित हुई।
भारत का जवाबी प्लान
सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारत भी अमेरिकी आयात पर शुल्क घटाने की तैयारी कर रहा है। ऑनलाइन सेवाओं (जैसे विज्ञापन) पर टैक्स खत्म करने और कारों, इलेक्ट्रॉनिक्स व चिकित्सा सेवाओं पर टैरिफ कम करने की बात चल रही है। लेकिन अमेरिका का तेल कार्ड खेलना भारत के लिए नई मुसीबत बना है।
तेल की मार
अमेरिका ने वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर 25% टैरिफ ठोक दिया है, जिससे भारत प्रभावित होगा। वेनेजुएला से कच्चा तेल लेने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अब नई खरीदारी रोक दी है। रूस का तेल पहले ही प्रतिबंधित है, ऐसे में भारत के सामने ऊर्जा संकट भी खड़ा हो सकता है। दो दिन बाद शुरू होने वाला यह टैरिफ युद्ध भारत-अमेरिका संबंधों के लिए नई चुनौती बन सकता है। क्या भारत इसका कोई तोड़ निकाल पाएगा, यह वक्त बताएगा।