नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (IAF) को जल्द ही तीन अत्याधुनिक जासूसी विमान (I-STAR – Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance) मिलने जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस ₹10,000 करोड़ की परियोजना को मंजूरी के लिए तैयार किया है, जो जून के चौथे सप्ताह में उच्च स्तरीय बैठक में प्रस्तुत की जाएगी। यह कदम भारत को अमेरिका, यूके और इजरायल जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला सकता है, जो इस तरह की उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं।
ओपन टेंडर के जरिए होगी खरीद
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के नेतृत्व में विकसित इस परियोजना के तहत तीन विमान विदेशी निर्माताओं, जैसे बोइंग और बॉम्बार्डियर, से ओपन टेंडर के माध्यम से खरीदे जाएंगे। इन विमानों में स्वदेशी सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगाए जाएंगे, जो DRDO के सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स (CABS) द्वारा पहले से ही सफलतापूर्वक विकसित किए जा चुके हैं। यह कदम भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूत करेगा और आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा।
दुश्मन पर नजर रखने की अनूठी क्षमता
I-STAR विमान दिन-रात उच्च ऊंचाई से संचालित हो सकेंगे और दुश्मन के रडार स्टेशनों, मोबाइल वायु रक्षा इकाइयों और कमांड केंद्रों पर सटीक निगरानी के साथ हमले करने में सक्षम होंगे। ये विमान स्टैंड-ऑफ रेंज से संचालित होंगे, जिससे दुश्मन की हवाई सीमा में प्रवेश किए बिना खुफिया जानकारी एकत्र की जा सकेगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर बढ़ते तनाव, खासकर पाकिस्तान और चीन के साथ, के मद्देनजर अहम साबित होगी।
रणनीतिक महत्व और वैश्विक प्रभाव
भारतीय सेना ने 2024 में रक्षा अंतरिक्ष के लिए ₹25,000 करोड़ के बजट की घोषणा की थी, जो क्षेत्रीय हथियारों की होड़ को दर्शाता है।
I-STAR परियोजना के साथ भारत न केवल अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा तकनीक में भी अपनी स्थिति सुदृढ़ करेगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत को उन्नत युद्धक्षेत्र खुफिया क्षमता प्रदान करेगा, जो दुश्मन की गतिविधियों पर 24×7 नजर रखने में सक्षम होगा। साथ ही, स्वदेशी प्रणालियों का उपयोग लागत प्रभावी समाधान के रूप में भी सामने आएगा, जो अमेरिकी और इजरायली सिस्टम की तुलना में अधिक स्केलेबल हो सकता है।
रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ेगी, और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में ये विमान भारतीय वायु सेना में शामिल हो जाएंगे। यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा नवाचार के मानचित्र पर एक नया मुकाम देगा।