नई दिल्ली : स्विस केंद्रीय बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2024 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अब CHF(स्विस करेंसी) 3.5 बिलियन (लगभग 33,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। हालांकि, इस राशि में ग्राहक जमा केवल CHF 0.35 बिलियन (10%) है, जो पिछले साल की तुलना में 11% बढ़ा है।
अस्थिर रुझान और वैश्विक सुधार
2023 में स्विस बैंकों में भारतीय धन 70% घटकर CHF 1.04 बिलियन रह गया था, जो इस वृद्धि को और भी आश्चर्यजनक बनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव स्विट्जरलैंड के बैंकिंग गोपनीयता सुधारों और वैश्विक कर चोरी पर निगरानी के परिणामस्वरूप हो सकता है। 2018 में स्विट्जरलैंड ने OECD के साथ वित्तीय डेटा साझा करने का समझौता किया था, जिसने अपतटीय खातों की पारदर्शिता बढ़ाई है।
ऐतिहासिक संदर्भ
स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय धन 2006 में अपने चरम पर CHF 6.5 बिलियन था। 2024 का आंकड़ा, हालांकि महत्वपूर्ण है, लेकिन पिछले उच्च स्तर से कम है, जो भारत के काले धन को वापस लाने की कोशिशों, जैसे 2015 के कालेधन घोषणा योजना का परिणाम हो सकता है, जिसके तहत ₹4,147 करोड़ से अधिक की वसूली हुई थी।
बैंकिंग फंड्स का दबदबा
ग्राहक जमाओं की तुलना में बैंकिंग फंड्स का प्रभुत्व संकेत देता है कि यह राशि संस्थागत निवेश या अपतटीय वित्तीय रणनीतियों का परिणाम हो सकती है। बांग्लादेश का उदाहरण, जहां 2024 में जमा 3,228% बढ़कर CHF 589.54 मिलियन हो गया, इस बात की ओर इशारा करता है कि सख्ती के बावजूद वैश्विक वित्तीय केंद्र पूंजी प्रवाह में बदलाव का केंद्र बने हुए हैं।
विशेषज्ञ राय
विश्लेषकों का कहना है कि यह वृद्धि भारत में पूंजी बाजारों में आकर्षक रिटर्न और विदेशी निवेशकों की रुचि को दर्शा सकती है। हालांकि, कुछ सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह काला धन या वैध निवेश का मिश्रण है, जिस पर आगे जांच की जरूरत है।