जॉर्जटाउन, गुयाना: कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को गुयाना की राजधानी जॉर्जटाउन में ऐतिहासिक संसद भवन में प्रवेश किया। यह दौरा गुयाना के 59वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिनिधिमंडल ने गुयाना की नेशनल असेंबली के स्पीकर मंजूर नादिर से मुलाकात की।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कूटनीतिक पहल
यह यात्रा भारत की कूटनीतिक पहल का हिस्सा है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू की गई है। इसका उद्देश्य आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट करना और गुयाना के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान गुयाना की सरकार, स्थानीय नेताओं, भारतीय समुदाय, डायस्पोरा और मीडिया के प्रमुख लोगों से भी मुलाकात की।
जॉर्जटाउन का संसद भवन, जो 1834 में बना था, 19वीं सदी की रेनेसां रिवाइवल वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। इस भवन में राष्ट्रपति गैलरी भी है, जिसमें गुयाना के पहले राष्ट्रपति आर्थर चुंग और पहले कार्यकारी राष्ट्रपति फोर्ब्स बर्नहैम की तस्वीरें प्रदर्शित हैं। प्रतिनिधिमंडल ने इस गैलरी का दौरा किया और भवन की ऐतिहासिक वास्तुकला की सराहना की।
प्रतिनिधिमंडल ने गुयाना के 59वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी हिस्सा लिया, जो बर्बिस में आयोजित किया गया। इस मौके पर शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा, “भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल गुयाना के 59वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जॉर्जटाउन पहुंचा। दिनभर की गतिविधियों और बातचीत के लिए उत्साहित हूं।”
इस प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी की शांभवी चौधरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद, तेलुगु देशम पार्टी के जी.एम. हरीश बालायगी, बीजेपी के शशांक मणि त्रिपाठी, तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर के. लता, शिवसेना के मल्लिकार्जुन देवड़ा और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं।
गुयाना के बाद यह प्रतिनिधिमंडल पनामा, ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर जाएगा। इससे पहले यह दल संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा कर चुका है। इस दौरे के जरिए भारत अपनी वैश्विक कूटनीति को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
भारत और गुयाना के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। भारत ने 1966 में गुयाना की स्वतंत्रता के समय संसद अध्यक्ष के लिए एक नक्काशीदार टीक की कुर्सी उपहार में दी थी, जो आज भी संसद भवन में मौजूद है। यह दौरा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।