नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज एक ऐतिहासिक घोषणा की है। भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपने एक अंतरिक्ष यात्री को भेजने जा रहा है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो भारतीय वायु सेना के एक अनुभवी पायलट हैं, अक्षय-4 (Axiom-4) मिशन के पायलट के रूप में चुने गए हैं। यह मिशन 10 जून 2025 को सुबह 5:52 IST पर नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित होगा।
मिशन की खासियत
- पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद ISS पर जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे। इस मिशन में वे 14 दिनों तक ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिसमें स्क्रीन उपयोग के संज्ञानात्मक प्रभाव, माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की कमी, और फसलों की लचीलापन जैसे शोध शामिल हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: यह मिशन ISRO, नासा, और अक्षय स्पेस के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी है। मिशन की कमान नासा की दिग्गज अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन संभालेंगी, जबकि शुभांशु पायलट के रूप में उनकी सहायता करेंगे।
- भारत का निवेश: इस मिशन के लिए भारत ने लगभग 5 अरब रुपये (लगभग 59 मिलियन डॉलर) का निवेश किया है, जो भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
शुभांशु शुक्ला का सफर
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) के पूर्व छात्र हैं और 2006 में भारतीय वायु सेना में फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए। उनके पास सु-30 एमकेआई जैसे उन्नत विमानों पर 2000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है। वे एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट भी हैं, जो इस मिशन के लिए उनकी विशेषज्ञता को रेखांकित करता है।
भारत का अंतरिक्ष सपना
इस मिशन के साथ भारत अपने स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान की तैयारियों को भी मजबूत कर रहा है, जिसका पहला मिशन अगले दो वर्षों में लॉन्च होने वाला है। इसके अलावा, 2028 में भारत अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station) का पहला मॉड्यूल लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
इस ऐतिहासिक मिशन के साथ भारत न केवल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक ठोस नींव भी रख रहा है।