अमृतसर: पंजाब के अमृतसर में स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर हर शाम होने वाली रिट्रीट सेरेमनी को आज पहली बार गेट खोले बिना आयोजित किया गया। यह बदलाव भारत सरकार के उस फैसले के बाद देखने को मिला, जिसमें हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर अटारी एकीकृत चेकपोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया गया।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बाइसरण इलाके में आतंकवादियों ने घरेलू और विदेशी पर्यटकों पर हमला किया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। इस हमले को हाल के वर्षों में नागरिकों पर सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। इसके जवाब में भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए न केवल अटारी चेकपोस्ट को बंद किया, बल्कि पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (SVES) को भी निलंबित कर दिया। साथ ही, पाकिस्तानी राजनयिकों को एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
अटारी-वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के जवान बिना गेट खोले औपचारिकताएं पूरी करते नजर आए। आमतौर पर इस समारोह में दोनों देशों के सैनिक गेट खोलकर एक-दूसरे के सामने आते हैं और झंडे उतारने की प्रक्रिया पूरी करते हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से इस बार ऐसा नहीं हुआ।
भारत सरकार ने घोषणा की है कि जो पाकिस्तानी नागरिक वैध दस्तावेजों के साथ पहले सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई 2025 तक इस मार्ग से वापस लौट सकते हैं। हालांकि, इसके बाद इस चेकपोस्ट पर आवागमन पूरी तरह बंद रहेगा। यह चेकपोस्ट भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का एकमात्र स्वीकृत स्थलीय मार्ग है, जो अफगानिस्तान से आयात के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस बंदी से छोटे व्यापारियों और उद्योगों पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है, जो सूखे मेवे, जिप्सम, सीमेंट और अन्य वस्तुओं के आयात-निर्यात पर निर्भर हैं।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई अटल है और यह और सशक्त होगी।” इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।