इंडोनेशिया : इंडोनेशिया के माउंट लेवोटोबी लाकी ज्वालामुखी में बुधवार को एक बार फिर भयंकर विस्फोट हुआ, जिससे आसमान में 10 किलोमीटर ऊंची राख और धुएं का गुबार उठ गया। इस प्राकृतिक आपदा के कारण आसपास के गांवों को खाली कराना पड़ा, जबकि बाली द्वीप आने-जाने वाली उड़ानें रद्द होने से पर्यटक और स्थानीय लोग परेशान हो उठे।
ज्वालामुखी में मंगलवार शाम से लेकर बुधवार दोपहर तक कई विस्फोट दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप राख का बादल 5,000 मीटर तक फैल गया। इंडोनेशियाई अधिकारियों ने आपात स्थिति की घोषणा करते हुए खतरे के क्षेत्र को 5 मील (लगभग 8 किलोमीटर) तक बढ़ा दिया है। इससे पहले नवंबर 2024 में भी इस ज्वालामुखी के कई विस्फोटों में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जिसने हवाई सेवाओं को प्रभावित किया और हजारों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया था।
घटना के बाद बाली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया के लिए, रद्द कर दी गईं। स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों और निवासियों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के विस्फोट से सल्फर डाइऑक्साइड जैसे गैसों का उत्सर्जन होता है, जो वैश्विक जलवायु पर महीनों तक प्रभाव डाल सकता है, जैसा कि 2023 के नेचर जियोसाइंस अध्ययन में पाया गया है।
इंडोनेशिया, जो पेसिफिक रिंग ऑफ फायर पर स्थित है, जहां 127 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, इस तरह की घटनाओं के लिए संवेदनशील है। 2010 में माउंट मेरापी के विस्फोट ने भी हवाई यात्रा को हफ्तों तक प्रभावित किया था, जो इस क्षेत्र में ज्वालामुखीय गतिविधियों के आर्थिक और रसद संबंधी जोखिमों को दर्शाता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विस्फोट से निकली राख और गैसें वायुमंडल में फैलकर तापमान में अल्पकालिक कमी ला सकती हैं, जैसा कि 1991 के माउंट पिनातुबो विस्फोट के बाद हुआ था। इस बीच, राहत और बचाव कार्य जारी है, और अधिकारियों ने लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दी है।