अयोध्या में राम मंदिर के कल होने वाले उद्घाटन की धूम है, सब कुछ नए तरीके और नए सलीखे से हो रहा है, ऐसे में अयोध्या राम मंदिर के सबसे पुराने और प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास से मीडिया की हुई बातचीत में जब उनसे पूछा कि क्या नए पुजारियों की भी नियुक्ति होगी। जिसपर आचार्य सत्येन्द्र ने बताया कि फिलहाल नवनिर्मित राम मंदिर में नए पुजारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। हालांकि कुछ चयनित पुजारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आखिर प्रशिक्षण की क्या आवश्यकता है ,इस प्रश्न पर आचार्य ने जवाब दिया, “देखिये, सनातन में अनेक पंथ हैं। सबकी अपनी-अपनी पूजा पद्धतियां हैं। शैव की अलग है, वैष्णव की अलग और शाक्त की अलग है। नाथपंथियों की व्यवस्था भी अलग है। इनकी पूजा पद्धतियों की जानकारियां सबको होती है। श्रीरामलला के पूजन अर्चन के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। श्रीरामलला का मंदिर रामानंदी वैष्णव परंपरा का मंदिर है। यहां इसी परंपरा के अनुसार पूजा होगी। चयनित पुजारियों को इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रामलला के नए मंदिर में काफी प्रयोग हो रहे हैं.”उन्होंने बताया कि ये सब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के जिम्मे है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुजारी के लिए आवेदन जारी किये गए थे, जिसके बाद इनका चयन हुआ है। प्रशिक्षण बहुत जरूरी होता है। प्रत्येक मंदिर में ऐसी व्यवस्था हो, जिसे पूजा अर्चना की जानकारी हो। ये पूछने पर कि कितने पुजारियों की नियुक्ति होगी,आचार्य सत्येन्द्र ने बताया कि अभी मंदिर में मैं और मेरे चार सहायक पुजारी हैं, अभी कितने और रखे जायेंगे, यह सब ट्रस्ट तय करेगा।
अयोध्या में हुए कायाकल्प को लेकर जब पत्रकारों ने पूछा कि अब आपको अयोध्या कैसी लग रही है,जिसपर उन्होने कहा, “28 वर्ष तक रामलला तिरपाल में रहे। अब वह समस्या खत्म हो गई है। अब भव्य मंदिर बन गया है। 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। इसके बाद रामलला उसमें विराजमान हो जाएंगे। इसलिए जो समस्याएं थीं, सब खत्म हो चुकी हैं। जो शंकाएं रहीं होंगी वह भी समाप्त हो गई। अब केवल रामलला की पूजा अर्चना हो और जो हमारे भक्तगण हैं वह उनके सुलभता से दर्शन करें।.”
वहीँ जब अयोध्या के विकास के बारे में महंत जी पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विकास की बात करेंगे तो बहुत ही ज्यादा विकास हुआ है। यहाँ योगीजी कम से कम 40 से 45 बार आकर समीक्षा कर चुके हैं। यही कारण है कि काम और तेज हो रहा है।योगीजी का ध्यान बहुत ही ज्यादा है। वहीँ पहले की सरकारों को देख लें, हमेशा से इसे उपेक्षित रखा है। उनलोगों ने केवल योगी ही नहीं पीएम मोदी ने भी यहां के विकास में हमेशा रुचि रखी है। यही कारण है कि यहां नया एयरपोर्ट ,बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन बन गया, और अयोध्या धाम की सड़कों को अब देखिये, सड़कें चौड़ी हो रही हैं। अब तो देश विदेश से लोग दर्शन के लिए अयोध्याधाम आ सकते हैं। अब पहले वाली बात नहीं रही उन्हें अब कोई समस्या नहीं होगी।
आखिर आचार्य सत्येन्द्र को अयोध्या के बारे में इतना कुछ कैसे पता है, इस सवाल पर आचार्य पुराने दिनों को याद करते हुए अपने बारे में बताते हैं “हम बचपन से ही अयोध्या में रहे है। हम करीब 83 साल के हैं। आज से नहीं लगभग 32 साल से रामलला मंदिर से जुड़े हुए हैं। 1992 में बाबरी विध्वंस से नौ माह पहले से ही इसी मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। अब भी राम मंदिर के मुख्य पुजारी हैं।” आचार्य के अनुसार 1975 में संस्कृत विद्यालय से उन्होंने आचार्य की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई।आचार्य सत्येन्द्र दास ने आगे बताया, “विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद 5 मार्च, 1992 को रामलला के पुजारी के रूप में केवल 100 रुपये मासिक पारिश्रमिक पर मेरी नियुक्ति हुई। पिछले कुछ वर्षों से पारिश्रमिक में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले ही साल की बात करिए तो हमें केवल 12 हजार मासिक मानदेय मिल रहा था, लेकिन इस साल रिसीवर व अयोध्या के कमिश्नर ने इसे बढ़ा दिया है।”