श्रद्धा वाल्कर ह’त्याकांड में आरोपी आफताब ने अपना आरोप तो कबूल लिया है। लेकिन उसने अपनी जान बचाने के लिए कानून को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आफताब ने कोर्ट में बयान दिया है कि उसने श्रद्धा के ह’त्या की प्लानिंग नहीं की थी। जो भी हुआ वो बस ‘Heat of the Moment’ था। यानि गुस्से में ऐसा हो गया। ऐसा बयान देकर पहले तो आफताब ने अपना जुर्म कबूल लिया है। लेकिन इसके पीछे उसने अपनी एक और साजिश रचने की शुरुआत कर दी है। आफताब एक सच बोलकर कई झूठ बोल रहा है।
श्रद्धा की ह’त्या कबूलने के बाद भी कोर्ट में सफेद झूठ बोल आफताब अब खेल रहा ‘विक्टिम कार्ड’
आफताब के बयान का अर्थ
दिल्ली की साकेत कोर्ट में मंगलवार को आफताब ने कहा कि जो भी हुआ वो बस ‘Heat of the Moment’ था। यानि गुस्से में ऐसा हो गया। इस बयान का एक स्पष्ट और प्रत्यक्ष अर्थ है कि आफताब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। लेकिन इसका अर्थ सिर्फ इतना ही नहीं है। दरअसल, आफताब ने ‘Heat of the Moment’ की बात कर कानूनी सहूलियत लेने का प्रयास किया है। पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. प्रत्यूष कुमार का कहना है कि आफताब की कोशिश क्वांटम ऑफ पनिशमेंट कम करने की है। लेकिन यह कमजोर डिफेंस है। इसके टिकने की गुंजाइश नहीं है।
क्या चाहता है आफताब
दरअसल, मामले का कानूनी पक्ष ये है कि आफताब का जुर्म कबूलना उसे सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है। लेकिन जिस तरह का जघन्य अपराध उसने किया है, सभी फांसी की मांग कर रहे हैं जो हत्या के मामले में प्रावधान भी है। लेकिन अब आफताब ने गुस्से में हुई हत्या वाला बयान देकर अपनी सजा को कम करवाना चाहता है। कानूनी जानकार बता रहे हैं कि आफताब चाहता है कि लोअर कोर्ट में किसी भी तरह उसे फांसी नहीं मिले। यहां फांसी मिलने के बाद उपरी अदालत में भी उसकी रिहाई की उम्मीदें खत्म हो सकती हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स से जो पता चला है उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि आफताब की कोशिश कानूनी रियायत पाने की है। लेकिन यह बिल्कुल आसान नहीं है। आफताब ने जुर्म कबूल कर लिया है। अगर गुस्से में आपा खो देने वाली दलील कोर्ट मानेगी तो यह आफताब को ही साबित करना होगा कि वो उस पल में विक्षिप्त हो चुका था। लेकिन जिस तरह हत्या करने के बाद उसने लाश ठिकाने लगाने, सबूत मिटाने की कोशिश की है, उससे तो यही लग रहा है कि इनसेनिटी का मामला नहीं है। वैसे डिटेल और सटीक रिजल्ट मेडिकल एग्जामिनेशन और सबूतों के आधार पर तय होंगे।
एक्सपर्ट कोट : डॉ. प्रत्यूष कुमार, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट
आफताब के बयान पर उठ रहे ये सवाल
- अगर श्रद्धा पर पहला वार गुस्से में हो गया, तो उसकी जान कैसे चली गई?
- हत्या गलती से हुई तो आफताब ने पुलिस को खुद से सूचना क्यों नहीं दी?
- गुस्से में किए गए वार से अगर जान चली गई तो उसके लाश के टुकड़े क्यों किए?
- मर्डर के बाद लाश के टुकड़े करना और फिर उन टुकड़ों को कई दिनों तक अलग अलग स्थानों पर फेंकना ‘Heat of the Moment’कैसे हो सकता है?