मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। अध्यक्ष पद के लिए उन्हें चुनाव लड़ना पड़ा। सामने शशि थरुर थे। लेकिन खड़गे आसानी से जीत कर कांग्रेस के बॉस बन गए। हालांकि उनकी असली परेशानी अब शुरू हुई है। क्योंकि इस आसान जीत के बाद उनके लिए मुश्किलों की बरसात है। उनके सामने चुनौतियां की लंबी लिस्ट है। इस लिस्ट में आने वाले विधानसभा चुनावों से लेकर लोकसभा चुनाव तक शामिल है। लेकिन इनके अलावा तीन चुनौतियां ऐसी हैं, जो सबसे मुख्य हैं।
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खुद को स्थापित करना खड़गे के लिए जरुरी
खड़गे की पहली चुनौती ये है कि वे अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद खुद को अध्यक्ष के तौर पर स्थापित कर सकें। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में लगभग ढ़ाई दशक से गांधी परिवार की मंशा के अनुरुप काम करना सीखा है। पार्टी के अधिकतर नेता वैसे भी गांधी परिवार की सरपरस्ती से इतर कुछ देख-सोच नहीं पाते हैं। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे की बड़ी चुनौती ये है कि उन्हें खुद को स्थापित करना है। हालांकि राहुल गांधी के स्टेटमेंट से लग रहा है, यह इतना भी मुश्किल नहीं होगा।
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खड़गे को 2024 के लिए कांग्रेस को तैयार करना होगा
केंद्र में सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस पार्टी लगातार चुनाव हार रही है। कांग्रेस के पास सिर्फ दो राज्य हैं, जहां उनके सीएम हैं। जबकि तीन राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस सहयोगी पार्टी के तौर पर काम कर रही है। ऐसे में खड़गे की बड़ी चुनौती होगी कि 2024 के पहले होने वाले दर्जनभर विधानसभा चुनावों में हर हाल में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करे। इससे कांग्रेस को एक बूस्ट मिलेगा और 2024 में भाजपा का सामना करने के लिए कांग्रेस तैयार हो सकेगी।
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अंदरुनी कलह से निपटना खड़गे की सबसे बड़ी चुनौती
कांग्रेस अगर सत्ता से बाहर है और इसके पीछे एक बड़ी वजह कांग्रेस का आपसी कलह भी है। इसे दूर किए बिना कांग्रेस आगे नहीं बढ़ सकती। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता आपसी कलह के कारण गई। राजस्थान में आपसी कलह का नमूना सभी देख ही रहे हैं। पार्टी बंटी हुई है। ऐसे में खड़गे की पहली प्राथमिकता इसी अंदरुनी कलह को दूर करने की होगी। इस चुनौती का सामना किए बगैर खड़गे बतौर कांग्रेस अध्यक्ष कभी सफल नहीं हो पाएंगे।