भारतीय फिल्म जगत में शोले एक ऐसी फिल्म है, जिसके एक नहीं दर्जनों डायलॉग आज भी मशहूर हैं। इसी में एक डायलॉग था, जासूस कोने कोने में फैले हुए हैं। यह डायलॉग असरानी के हिस्से का है, जिन्होंने एक जेलर का कैरेक्टर निभाया था। फिल्म में असरानी बार बार अपने बारे में कहते दिखते हैं वे अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं। कुछ ऐसा ही हाल बिहार की महागठबंधन सरकार का हो गया है। कुछ महीनों के अंतराल पर उन्हें जासूस दिख जाता है। अब तक चार ऐसे नेता महागठबंधन से बाहर हो चुके हैं, जिन्हें महागठबंधन के नेता भाजपा का जासूस कहते हैं।
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आरसीपी से हुई शुरुआत
भाजपा से करीबी रिश्तों के आरोप में नेताओं को बाहर करने की कवायद भाजपा के साथ रहते हुए ही जदयू ने कर दी थी। सबसे पहले जदयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को निबटाया। पहले तो उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बाद में आरसीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के तीन हफ्ते बाद ही नीतीश कुमार ने जदयू का गठबंधन राजद-कांग्रेस के साथ करा दिया। इसके बाद नीतीश कुमार पर हमलावर आरसीपी सिंह को जदयू के नेताओं ने भाजपा का एजेंट बताना शुरू किया। महीनों तक आरसीपी सिंह बिना किसी दल में रहते हुए बिहार भर में घूम-घूम कर नीतीश कुमार को कोसते रहे। पिछले दिनों वे भाजपा में शामिल हो गए हैं।
अजय आलोक हटाए गए
जदयू में कभी आरसीपी सिंह के करीबी रहे डॉ. अजय आलोक को भी पार्टी ने पहले शंट कर दिया। प्रवक्ता पद छीन लिया। फिर छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद वे भी खुलेआम नीतीश कुमार और जदयू के साथ पूरे महागठबंधन पर महीनों बरसे। किसी दल में शामिल हुए बिना राजनीतिक विश्लेषक होने के नाते वे नीतीश कुमार को डैमेज करने के प्रयास टीवी चैनलों पर करते दिखे। कुछ दिन पहले उन्हें भी भाजपा ने अपना लिया है। वे पार्टी में शामिल हो चुके हैं। उनके बारे में भी जदयू के उनके प्रवक्ता साथियों ने कई बार भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया।
कुशवाहा ने फूंका विरोध का बिगुल
कभी जदयू में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा पर भी जदयू के नेताओं ने भाजपा का जासूस होने का आरोप लगाया। उपेंद्र कुशवाहा ने खुद यहां तक कहा कि दिसंबर 2022 में जब वे पार्टी की गतिविधियों के बारे में नीतीश कुमार से गंभीर चर्चा करने पहुंचे तो बात सुने बिना नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया कि भाजपा में जा रहे हैं क्या? उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू तो छोड़ दिया लेकिन भाजपा में शामिल नहीं हुए। उन्होंने फिर एक नई पार्टी बनाई है। हालांकि बताया जाता है कि कुशवाहा अभी भाजपा के नजदीक हैं, जिसकी गवाह भाजपा नेताओं के साथ उनकी कई बैठकें हैं।
मांझी को लगा दिया गया किनारे
हाल ही में हम (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने महागठबंधन सरकार में मंत्री पद छोड़ दिया। मंत्री पद छोड़ने का कारण संतोष सुमन ने बताया कि उनकी पार्टी के मर्जर का दबाव जदयू की ओर से बनाया जा रहा था। इस बात को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने स्वीकार भी किया। लेकिन पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी को जदयू ने अब भाजपा का एजेंट बताना शुरू कर दिया। खुद नीतीश कुमार ने कहा है कि 23 जून को उनकी पार्टी को बैठक में इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि उन्हें मालूम था कि बैठक की अंदरुनी बातों को वे भाजपा को बता देते।