पिछले दिनों भारत में BBC के दफ्तरों पर इनकम टैक्स का सर्वे हुआ। आम भाषा में इसे छापेमारी ही माना जाता है। इसको लेकर भारत की राजनीति झटके से दो हिस्सों में बंट गई। जो केंद्र की सत्ता के पक्ष में हैं, वे इसे बस कानूनी प्रक्रिया मान रहे हैं। तो केंद्र की सत्ता के विरोध में खड़े नेताओं ने इसे सरकार की बदले वाली कार्रवाई बताया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि BBC के द्वारा कुछ लिखे जाने पर ऐसी कार्रवाई होती है, तो समझ लीजिए कि देश में क्या हो रहा है। सीएम नीतीश कुमार यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि हमारे खिलाफ भी बहुत सी निगेटिव खबरें चलती हैं, लेकिन हम उस पर ध्यान नहीं देते हैं। वैसे जिस BBC पर नीतीश कुमार को इतना भरोसा है, उस पर न तो वर्तमान केंद्र सरकार को भरोसा रहा है और न ही पूर्व की केंद्र सरकारों को। बीबीसी की रिपोर्ट कई बार न सिर्फ सवालों के घेरे में आई है, बल्कि फर्जी भी पाई गईं हैं। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने बीबीसी का दफ्तर बंद करा दिया था। तो पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सरकार बीबीसी को फर्जी रिपोर्ट के लिए कोर्ट तक लाई थी। वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने तो बीबीसी को Bluff and Bluster corporation नाम दिया था।
इंदिरा ने बंद करा दिया था BBC का ऑफिस
BBC के दिल्ली और मुंबई के दफ्तरों पर छापे पड़ने के बाद कांग्रेस उसे भारत बचाओ आंदोलन में खलल मान रहा है। विपक्ष का व्यवहार ऐसा है कि जैसे भारत बरबाद हो रहा है और बीबीसी भारत को बचा रही है। लेकिन इसी बीबीसी की 1970 में बनी दो डॉक्यूमेंट्रीज ने भारत की छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। तब तो मीडिया का फैलाव ऐसा भी न था कि भारत में लोग उन डॉक्यूमेंट्रीज के बारे में जान सकें। लेकिन लंदन में रहने वाले भारतीयों में इन दोनों डॉक्यूमेंट्रीज का विरोध किया। बात तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी तक पहुंची और उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज पर प्रतिबंध लगाने के साथ दिल्ली में बीबीसी का दफ्तर ही बंद करा दिया। 1970 से 1972 तक दो साल बीबीसी का दफ्तर दिल्ली में बंद रहा था।
बीबीसी को कोर्ट में घसीट कर ले गई मनमोहन सरकार
साल आया 2008 और एक बार फिर BBC ने खड़ा किया बड़ा विवाद। बीबीसी ने भारत में चाइल्ड लेबर पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई। जिस कम्पनी के बारे में यह डॉक्यूमेंट्री बनी, उसने इसका विरोध किया। उसने इस रिपोर्ट को तथ्यहीन और फर्जी बताया। मामले में सरकार भी आई क्योंकि आरोप ये भी लगे कि बहाना चाइल्ड लेबर की रिपोर्टिंग का है लेकिन निशाना भारत की छवि पर है। बाद में ये स्टोरी ही फर्जी निकली। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की सरकारी बॉडी ने फैसला सुनाया कि इसमें बच्चों की नकली फुटेज बनाई गई है।
मोदी सरकार 3 बार लगा चुकी है प्रतिबंध
भारत में प्रधानमंत्री बदलते रहे लेकिन बीबीसी का रवैया जस का तस रहा। कुछ महीनों-वर्षों के अंतराल पर बीबीसी के कारनामे भारत की छवि को गिराने वाले हो ही जाते हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में 3 बार इसकी रिपोर्ट पर प्रतिबंध लग चुका है। सबसे पहले यह 2015 में हुआ था। तब बीबीसी ने निर्भया कांड के दोषियों पर एक डॉक्यूमेंटरी बनाई। सरकार ने उस पर रोक लगा दी। मार्च 2015 में दिल्ली हाई कोर्ट ने बीबीसी की उस डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के फैसले को सही ठहराया था। 2017 में दूसरी बार रोक तब लगी जब बीबीसी ने जंगली जानवरों के शिकार से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री की वजह से भारत की छवि को धक्का पहुंचाया था। तब BBC को भारत के नेशनल उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों में शूटिंग करने से 5 साल के लिए रोकदिया गया था। अब ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर रोक लगी है।
नेताजी ने BBC को बताया Bluff and Bluster corporation
आजादी के पहले भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को लेकर बीबीसी का अपना नजरिया रहा था जो भारतीयों के हित में कत्तई नहीं था। 1940 के दशक में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बीबीसी की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की वजह से ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) को Bluff and Bluster corporation कहा था। बाद में 1942 में जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो की स्थापना की, जो भारत की स्वतंत्र आवाज बनकर उभरा।