बिहार में दो सीटों के लिए हो रहा उपचुनाव कहीं राज्य की राजनीति में एक और बड़ा बदलाव ला दे तो, आश्चर्य नहीं होगा। एक ही चुनाव में दो बार सरकारें बनने का रिकॉर्ड तो बिहार बना चुका है। अब तक तीसरी बार भी सरकार बदल जाए तो आश्चर्य नहीं। दरअसल, राजनीतिक हलकों में बिहार की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि कोई भी दल किसी भी करवट हो सकता है। उपचुनाव में सत्तापक्ष से सिर्फ राजद के उम्मीदवार हैं। लेकिन सत्ता में साझीदार जदयू चुनाव प्रचार को लेकर खास उत्साहित नहीं है। ऐसे में यह भी चर्चा होने लगी है कि जदयू चाहती ही नहीं कि राजद दोनों में से कोई भी सीट जीते। इसके कारण भी तार्किक हैं। वैसे तो नीतीश कुमार अपने पेट का घाव दिखाकर चुनाव प्रचार में नहीं जाने की बात कर रहे हैं। लेकिन तेजस्वी कह रहे हैं कि सीएम के पैर में चोट लगी है। अब सवाल यह है कि यह कम्युनिकेशन गैप सिर्फ स्लीप ऑफ टंग है या फिर खेल कुछ और है?
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राजद की जीत से जदयू डेंजर जोन में
दरअसल, इस उपचुनाव में अगर दोनों सीटें सत्तापक्ष हार जाता है तो सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन राजद अगर दोनों सीटें जीत जाता है, तो जदयू के लिए डेंजर जोन ऑन हो जाएगा। यानि जदयू उस स्थिति में आ सकता है, जब उसकी महत्ता ही सरकार बनाने में नहीं रह जाएगी। राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा है कि जदयू अपनी रेलेवेंसी बनाए रखने के लिए चाहता है कि राजद दोनों सीटें हार जाए। हालांकि मोकामा के उपचुनाव में जदयू की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जरुर पहुंच गए। लेकिन जिसके खिलाफ 2019 में ललन सिंह लोकसभा चुनाव जीते, उसे ही विधायक बनवाने के लिए वोट मांगना कॉम्प्रोमाइजिंग कंडीशन ही लगता है।
नंबर गेम अब जा रहा जदयू के खिलाफ
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से अभी 240 विधायक हैं। दो सीटों, गोपालगंज और मोकामा, पर उपचुनाव हो रहा है। तीसरी सीट कुढ़नी भी खाली हो चुकी है। सबसे अधिक 78 विधायक राजद के हैं। जबकि भाजपा के पास 77 विधायक हैं। जदयू के पास 45 विधायक हैं। तो कांग्रेस के पास 19 और वामदलों के पास 16 सीटें हैं। यानि अगर राजद के पास मोकामा और गोपालगंज के बाद कुढ़नी सीट भी चली जाती है तो राजद के कुल 81 विधायक हो जाएंगे। ऐसे में राजद, कांग्रेस और वामदलों को मिलाकर 116 सीटें हो जाएंगी। हम सेक्युलर, AIMIM और निर्दलीय विधायक को भी महागठबंधन में आस्था हो गई तो नीतीश कुमार और जदयू के बिना भी महागठबंधन के विधायकों की संख्या 122 हो जाएगी। जदयू अपने खिलाफ इसी नंबर गेम को रोकने की चिंता में जुटा है।