बिहार में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति यानि राज्यपाल और शिक्षा विभाग का टकराव हर दिन नई उंचाईयां छू रहा है। पहले शिक्षा विभाग ने एक कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोका। राजभवन ने इस रोक पर रोक लगाई। तो शिक्षा विभाग ने राजभवन द्वारा लगाई रोक पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब बिहार सरकार का नया फरमान उस दिशा की ओर बढ़ रहा है, जो अगर सफल होता है कि राज्य के विश्वविद्यालय राजभवन के नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। वैसे यह प्रयास बिहार में पहली बार नहीं हुआ है। पहले ही राज्य सरकार तीन विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद मुख्यमंत्री को दे चुकी है। अब नई तैयारी अन्य विश्वविद्यालयों को भी राजभवन के नियंत्रण से बाहर करने की है। वैसे इस प्रयास का एक नमूना पंजाब की भगवंत मान सरकार भी दिखा चुकी है।
शिक्षा विभाग ने निकाल दिया कुलपतियों की नियुक्ति का विज्ञापन
राज्य सरकार पर विश्वविद्यालयों से राजभवन का नियंत्रण समाप्त करने के आरोप इसलिए लगे हैं क्योंकि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के राज्य के सात विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे हैं। आवेदन के लिए 13 सितंबर की तिथि भी तय कर दी गई है। आवेदक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। लेकिन विवाद इस बात को लेकर है कि आखिर शिक्षा विभाग ने आवेदन मांगे ही क्यों? क्योंकि अब तक आवेदन की प्रक्रिया राजभवन द्वारा मांगी जाती थी। इस बार भी राजभवन ने अगस्त माह में आवेदन पहले ही जारी कर दिया है तो शिक्षा विभाग अलग से आवेदन क्यों मांग रहा है।
राज्य सरकार की सलाह पर होती है कुलपतियों की नियुक्ति
बिहार में नियमावली यह रही है कि राज्य सरकार की सलाह के साथ कुलाधिपति कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति करते हैं। इसके लिए सर्च कमेटी होती है, जो नामों का पैनल तैयार करती है। वैसे शिक्षा विभाग ने जो आवेदन मंगाए हैं, उसमें भी सर्च कमेटी की बात कही गई है। लेकिन इस प्रक्रिया संचालन इससे पहले की नियुक्तियों में राजभवन की ओर से होता रहा है।
इन विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए मांगे गए हैं आवेदन
- पटना विश्वविद्यालय, पटना
- जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा
- बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर
- एलएन मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा
- केएसडीएस संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा,
- बीएनमंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा
- आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना
तीन विश्वविद्यालयों पर हो चुका है सरकार का ‘कब्जा’
राजभवन और शिक्षा विभाग का यह टकराव पहली बार बिहार में नहीं हो रहा है। कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल का है, जो सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। लेकिन बिहार में राज्य सरकार ने नवगठित तीन विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर राज्यपाल को रखा ही नहीं। राज्य में मेडिकल, इंजीनियरिंग और खेल की शिक्षा के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय बनाए जा रहे हैं। यह विधेयक राज्यपाल द्वारा भी मंजूर किया जा चुका है।
पंजाब में भी यही पहल
बिहार सरकार की विश्वविद्यालयों को लेकर नई उड़ान पर पंजाब की भगवंत मान सरकार का भी असर देखा जा रहा है। भगवंत मान सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद राज्यपाल से हटाकर मुख्यमंत्री को देने का विधेयक पारित कर दिया है। तब भगवंत मान सरकार की ओर से भी राज्यपाल पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया था। बिहार में भी वैसी ही स्थिति है क्योंकि पिछले एक हफ्ते में राजभवन और राज्य सरकार का शिक्षा विभाग कई बार टकरा चुका है।